नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से उस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा, जिसमें इस साल की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातकोत्तर) में कथित तौर पर सामान्य सीटों के लिए सफल होने वाले आरक्षित वर्ग के मेधावी उम्मीदवारों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के तहत सीटें आवंटित की जा रही हैं।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को परीक्षा में अपनाई जा रही सटीक प्रक्रिया के बारे में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता पंकज कुमार मंडल और अन्य की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि जिन उम्मीदवारों ने आरक्षित वर्ग में आवेदन किया था, लेकिन उन्हें सामान्य श्रेणी में प्रवेश योग्य उच्च अंक प्राप्त किए, उन्हें अभी भी शीर्ष अदालत के अतीत के फैसले का उल्लंघन करते हुए आरक्षित सीटें आवंटित की जा रही हैं।
इस पर भाटी ने कहा, ‘‘हम आरक्षण नीति से बंधे हैं, जिसका उल्लेख नीट-पीजी परीक्षा की विवरण-पुस्तिका में किया गया है और यह नीति केवल 50 सीटों के लिए नहीं है बल्कि यह क्रमवार है। यह कानून है जिसका पालन किया जा रहा है।” पीठ ने भाटी को प्रवेश के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर तय की।