देश में सब पर समान रूप से लागू हो जनसंख्या नियंत्रण कानून-RSS प्रमुख मोहन भागवत

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नागपुर: विजयादशमी के अवसर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत को जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है. अगर इस पर जरूरी कदम न उठाए गए तो देश ‘धर्म आधारित असंतुलन’ और ‘जबरन धर्मांतरण’ जैसे मामलों पर बंटेगा. उन्होंने कोसोवो और दक्षिण सूडान का हवाला दिया जो आबादी में धर्मों के बीच असंतुलन के कारण उभरे हैं. उन्होंने हिंदी में अपने भाषण में कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ धार्मिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्वपूर्ण है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने आगे कहा कि जनसंख्या नीति व्यापक सोच-विचार के बाद तैयार की जाए और यह सभी पर समान रूप से लागू हो.यह सही है कि जनसंख्या जितनी अधिक उतना बोझ ज़्यादा. जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है. हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने.

भागवत बोले- शक्ति शांति का आधार है. हमें महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार करने एवं उन्हें अपने निर्णय स्वयं लेने की स्वतंत्रता देकर सशक्त बनाने की आवश्यकता है. जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते, इतनी उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है.

कोविड के बाद हमारी अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति में लौट रही है. दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों ने भविष्यवाणी की है कि ये और अच्छा करेगी. खेलों में भी हमारे खिलाड़ी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं. परिवरतन दुनिया का नियम है, लेकिन सनातन धर्म पर दृढ़ रहना चाहिए.

नई शिक्षा नीति पर उन्होंने कहा कि हर कोई चाहता है कि नई शिक्षा नीति छात्रों को अच्छा इंसान बनाने और उनमें देशभक्ति की भावना पैदा करने में मदद करे. यह एक मिथक है कि करियर के लिए अंग्रेजी महत्वपूर्ण है. नई शिक्षा नीति से छात्र बड़े संस्कारी, अच्छे इंसान और देशभक्ति से प्रेरित होंगे. यही सबकी इच्छा है. समाज को इसका सक्रिय रूप से समर्थन करने की जरूरत है.

जनसंख्या नीति पर काम करने की है जरूरत

मोहन भागवत ने कहा कि जनसंख्या को संसाधनों की आवश्यकता होती है। यदि यह बिना संसाधनों का निर्माण किए बढ़ता है, तो यह एक बोझ बन जाता है। एक और दृष्टिकोण है जिसमें जनसंख्या को एक संपत्ति माना जाता है। हमें दोनों पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सभी के लिए जनसंख्या नीति पर काम करने की जरूरत है।

अच्छे इंसान बनें जो देशभक्ति से हो प्रेरित

संघ प्रमुख ने कहा कि यह एक मिथक है कि करियर के लिए अंग्रेजी बहुत महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति से छात्र उच्च संस्कारी, अच्छे इंसान बनें जो देशभक्ति से भी प्रेरित हों। यही सबकी इच्छा है। समाज को इसका सक्रिय रूप से समर्थन करने की जरूरत है।

‘शक्ति ही शांति का आधार’

भागवत ने कहा कि शक्ति ही शांति का आधार है। उन्होंने कहा कि आज आत्मनिर्भर भारत की आहट हो रही है। विश्व में भारत की बात सुनी जा रही है। आत्मा से ही आत्मनिर्भरता आती है। विश्व में हमारी प्रतिष्ठा और साख बढ़ी है। जिस तरह से हमने श्रीलंका की मदद की। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान हमारे रुख से पता चलता है कि हमें सुना जा रहा है।

‘महिलाओं के बिना विकास नहीं हो सकता’

भागवत ने आगे कहा कि महिलाओं के बिना विकास संभव नहीं है। जो काम मातृ शक्ति कर सकती है वह काम पुरुष भी नहीं कर सकते। इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना जरूरी है।

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