रियादः रूस-युक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से पहल की गई है, जिसके चलते आज सऊदी अरब में रूसी और अमेरिकी अधिकारियों के बीच बैठक होगी। इस बैठक का एजेंडा पहले से ही तय है। युद्ध समाप्ति को लेकर चर्चा होगी। हालांकि इस बैठक में यूक्रेन की तरफ से कोई अधिकारी शामिल होगा या नहीं होगा इसको लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
इस बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो रियाद और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव भी देर रात रियाद पहुंचे। दोनों देशों के बीच युद्ध समाप्ति को लेकर हुई वार्ता यदि सकारात्मक रही तो डोनाल्ड ट्रंप और वोलदिमीर पुतिन की जल्द मुलाकात हो सकती है।
अमेरिका और रूस के संबंध कई दशकों से खराब चल रहे हैं। दोनों दुनिया के दो ध्रुवों पर रहने वाले देश हैं। हालांकि अब युद्ध को खत्म करने के लिए दोनों देश एक टेबल पर आ रहे हैं। बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध के अलावा अमेरिका द्वारा रशिया पर लगाए गए तमाम प्रतिबंधों को हटाने पर भी विचार होगा। 2022 में जब युद्ध शुरू हुआ तो अमेरिका ने रूस पर कई सारे प्रतिबंध थोप दिए थे। जिसकी वजह से दोनों देशों के सामान्य संबंध भी खत्म हो गए थे।
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के पीछे अमेरिका का प्रभाव देखा जाता है। रूस द्वारा युद्ध की कई वजहें बताई जाती हैं, लेकिन मुख्य वजह जो स्पष्ट तौर पर नहीं बताई गई, वह यूक्रेन का नाटो में शामिल होना। यूक्रेन रूस का पड़ोसी देश है। वह नाटो में शामिल होना चाहता था, जो रूस को कतई रास नहीं आ रहा था। इस वजह से युद्ध की शुरूआत हुई।
बता दें कि नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइज़ेशन यानी नाटो एक सैन्य गठबंधन है। इसके सदस्य अमेरिका, फ्रांस और कनाडा सहित कुल 12 देश हैं। इन देशों की सेनाएं नाटो में शामिल हैं। सदस्य देशों के बीच एक समझौता कि यदि नाटो के सदस्य देशों पर कोई हमला होता है तो सदस्य देश की तरफ से नाटो की सेना युद्ध लड़ेगी। ऐसे में यूक्रेन का नाटो में शामिल होना रूस के रणनीतिक हार थी। इतना ही नहीं नाटो सैनिक के रूप में अमेरिकी सेना रूस के पड़ोस में आ जाती जो पुतिन को बर्दाश्त नहीं है।