हैदराबाद: अंबेडकर जयंती के अवसर पर तेलंगाना आज से राज्य में एससी वर्गीकरण अधिनियम लागू करने जा रहा है। सिंचाई और नागरिक आपूर्ति मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी ने यह जानकारी दी है। उन्होंने रविवार को कहा कि इसके तौर-तरीकों को लेकर एक सरकारी आदेश जारी किया जाएगा और इसकी पहली प्रति मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी को सौंपी जाएगी और फिर इसे सार्वजनिक रूप से जारी किया जाएगा। इस अधिनियम के लागू होने के साथ ही तेलंगाना देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जो एसी उप-वर्गीकरण लागू करेगा।
इस कानून को लागू करने से पहले रविवार को सचिवालय में कैबिनेट सब-कमेटी की अंतिम बैठक हुई। इस बैठक में दिशा-निर्देशों और आदेश को अंतिम रूप दिया गया। बैठक में मंत्री दामोदर राजा नरसिम्हा, न्यायमूर्ति शमीम अख्तर, कल्याण सचिव श्रीधर और अन्य मंत्री तथा अधिकारी शामिल हुए। अधिनियम का उद्देश्य अनुसूचित जातियों के लिए मौजूदा 15% आरक्षण को तर्कसंगत बनाना है। इसके लिए 59 अनुसूचित जातियों की उपजातियों को तीन भागों में विभाजित किया गया है, ताकि सबसे पिछड़े वर्गों को अधिक न्याय मिल सके।
तीन ग्रुप में बांटकर आरक्षण का बंटवार
पहला समूह: इसमें 15 सबसे वंचित समुदाय शामिल हैं, जो अनुसूचित जाति की आबादी का 3.288% हिस्सा हैं और उन्हें 1% आरक्षण मिलेगा।दूसरा समूह: इसमें 18 समुदाय शामिल हैं, जिन्हें बहुत कम लाभ मिलता है। वे अनुसूचित जाति की आबादी का 62.74% हिस्सा हैं और उन्हें 9% आरक्षण मिलेगा। तीसरा समूह: इसमें 26 अपेक्षाकृत बेहतर समुदाय शामिल हैं, जो अनुसूचित जाति की आबादी का 33.963% हिस्सा हैं और उन्हें 5% आरक्षण मिलेगा। वर्तमान में, 2011 की जनगणना के अनुसार तेलंगाना में एससी आरक्षण 15% है, लेकिन एससी आबादी अब बढ़कर लगभग 17.5% हो गई है। इसलिए सरकार 2026 की जनगणना के बाद आरक्षण बढ़ाने पर भी विचार करेगी।
किस आधार पर किया गया वर्गीकरण
इस वर्गीकरण के लिए अक्टूबर 2024 में जस्टिस शमीम अख्तर आयोग का गठन किया गया था। आयोग को विभिन्न एससी उपजातियों की आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक स्थिति का अध्ययन करने की जिम्मेदारी मिली थी। आयोग को 8600 से अधिक लोगों से सुझाव और अभिव्यक्ति मिली थी। जनसंख्या वितरण, साक्षरता दर, उच्च शिक्षा में भागीदारी, रोजगार, सरकारी योजनाओं से लाभ और राजनीतिक भागीदारी जैसे कई बिंदुओं का अध्ययन किया। सभी समुदायों की बात सुनने के बाद विस्तृत रिपोर्ट दी।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने दी थी मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2024 को एससी-एसटी के अंदर उप-वर्गीकरण को मंजूरी दी थी। सात जजों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्यों को आंकड़ों के आधार पर एससी-एसटी के तहत आरक्षण का वर्गीकरण करने का अधिकार है। अगर किसी राज्य में अनुसूचित जातियों के लिए 15% आरक्षण है, तो वह इस 15% आरक्षण को विभिन्न एससी समुदायों में उनके पिछड़ेपन के आधार पर बांट सकता है। जस्टिस बीआर गवई समेत छह जजों ने उप-वर्गीकरण का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि एससी/एसटी एक समान वर्ग नहीं हैं और कुछ समुदाय दूसरों की तुलना में ज़्यादा पिछड़े हो सकते हैं। वहीं, जस्टिस विक्रम नाथ ने उप-वर्गीकरण से असहमति जताई थी।