नई दिल्ली: नगालैंड सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक राज्य विधानसभा में पेश किया गया है। नगालैंड विधानसभा ने 12 सितंबर को नगालैंड नगरपालिका विधेयक, 2023 को चयन समिति के पास भेजने का फैसला किया था। राज्य में लंबे वक्त से शहरी स्थानीय निकाय चुनाव लंबित हैं और आखिरी बार चुनाव 2004 में हुआ था।
राज्य सरकार ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि यह प्रक्रिया ”16 प्रमुख जनजातियों और सात अल्पसंख्यक जनजातियों के प्रमुखों से एक सितंबर 2023 को किए गए विचार विमर्श” के कारण संभव हुई, जिन्होंने महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण देने पर सहमति जताई है।
नगालैंड के महाधिवक्ता ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ को बताया कि यह मामला चयन समिति के पास भेजा गया है।
पीठ ने 26 सितंबर को दिए अपने आदेश में कहा, ”उन्होंने (महाधिवक्ता) कहा कि मामले को चयन समिति के पास भेजा गया है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट देगी। तब तक उन्हें उम्मीद है कि विधानसभा विधेयक पारित कर देगी।”
उच्चतम न्यायालय ‘पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज’ और अन्य की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का अनुरोध किया गया है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की है।
न्यायालय ने 25 जुलाई को मामले पर सुनवाई के दौरान नगालैंड में नगर निकाय चुनावों में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण देने की संवैधानिक योजना लागू न करने को लेकर केंद्र तथा राज्य सरकार की आलोचना की थी। नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की अगुवाई में एक गठबंधन सरकार है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है।