रांची: झारखंड में जनवरी 2020 से लेकर पिछले महीने तक कुल 27 नक्सली मारे जा चुके हैं और 1,131 अन्य गिरफ्तार हुए हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जनवरी 2020 से अगस्त 2022 के बीच नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच कुल 108 मुठभेड़ हुईं और इस अवधि में 45 नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।
अधिकारियों के मुताबिक, झारखंड में गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए हुई बैठक में ये आंकड़े पेश किए गए। उन्होंने बताया कि बैठक में राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने हिस्सा लिया, जिनमें सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक शामिल हैं।
राज्य में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) में गिरावट आने की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में झारखंड के 24 जिलों में से आठ एलडब्ल्यूई मुक्त हैं।
उन्होंने बताया कि नक्सलवाद से अत्यधिक प्रभावित क्षेत्रों, मसलन-बूढ़ा पहाड़, पारसनाथ, सारंडा, पोदाहाट और चतरा-गया में 25 अग्रिम चौकियां या शिविर स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, इन क्षेत्रों में 15 अतिरिक्त चौकियां भी बनाई जा रही हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अफसरों को निर्देश दिया कि वे नक्सलवाद प्रभावित इलाकों में पुलिस सुरक्षा के साथ शिविर स्थापित कर ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ मुहैया कराएं।
गांवों सुविधाएं बढ़ाने पर दिया जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि वहां बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इससे लोगों के बीच पुलिस की विश्वसनीयता बढ़ेगी और नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। सोरेन ने कहा कि सुरक्षाबलों को रोजमर्रा की जरूरी चीजें ग्रामीण इलाके में रह रहे लोगों से खरीदनी चाहिए। इससे उन्हें रोजगार मिलेगा और उनकी आमदनी भी बढ़ेगी।
सभी जेलों में सिग्नल जैमर लगाने के भी निर्देश
मुख्यमंत्री ने आपराधिक गतिविधियों में कमी लाने के लिए राज्य की सभी जेलों में सिग्नल जैमर लगाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें मिली हैं कि जेल में बंद अपराधी मोबाइल फोन के जरिये आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए।