नोटों की गड्डी देखकर जाग गया उसके अंदर का शैतान, डाली 22 करोड़ की ‘डकैती’, जाने पूरा मामला

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वो रोज़ करोड़ों रुपये देखता था। नोटों की गड्डियां उसके सामने होती थीं। एक या दो नहीं, सैकड़ों गड्डियां। 100 के नोटों की गड्डियां, 500 के नोटों की गड्डियां। वो मन ही मन सोचता, काश! ये पैसा उसके पास आ जाए। वो सोचता, काश! उसकी जिंदगी बदल जाए। लेकिन थोड़ी देर बाद ही आहें भरता और फिर अपने काम में लग जाता। वो खुद को समझाता- यह सही नहीं है। लेकिन उस दिन उसके दिमाग ने उसके दिल नहीं सुनी। फिर उसने बैंक में डाल दिया डाका। वो दिल्ली की सबसे बड़ी डकैती थी।

‘अरे यार, ये बैंक से कैश आने में और कितना टाइम लगेगा’… एक्सिस बैंक (Axis Bank) के बाहर खड़ी ATM कैश वैन के ड्राइवर प्रदीप ने एक दूसरे ड्राइवर से पूछा। दिल्ली का विकास पुरी इलाका। सुबह के छह बजे थे। एक्सिस बैंक के बाहर चार कैश वैन खड़ी थी और उनके ड्राइवर वहीं पास में इंतजार कर रहे थे बैंक से कैश बॉक्स आने का। बैंक की इस ब्रांच से कैश वैन में रखकर कैश ले जाया जाता और फिर इस कैश को आसपास के एटीएम में भरा जाता। हर रोज़ सुबह-सुबह ग्राहकों के आने से पहले ये काम होता। बस आज भी ये चारों ड्राइवर कैश के आने का ही इंतजार कर रहे थे।

तभी बैंक से कैश की पेटियां बाहर आईं। कुल 38 करोड़ रुपये एक्सिस बैंक से लेकर इन चारों कैश वैन में कैश डाला गया। सबसे ज्यादा कैश जिस वैन में था उस वैन का ड्राइवर था प्रदीप। ‘इस वैन में 22 करोड़ लोड हो गए हैं, अब आप लोग निकल सकते हैं’… बैंक कर्मी ने जैसे ही 22 करोड़ की बात की, प्रदीप के कान खड़े हो गए। वो फिर सोचने लगा, काश! ये 22 करोड़ उसे मिल जाएं। ‘अरे क्या सोच रहे हो चलो भाई’… उस वैन के सुरक्षाकर्मी विनय पटेल ने प्रदीप को कहा। दोनों आगे की सीट पर बैठे और फिर अपनी वैन आगे बढ़ा ली। एक-एक कर चारों वैन एक्सिस बैंक से निकल चुकी थीं।

प्रदीप को इस वैन को लेकर ओखला जाना था। विकास पूरी से ओखला की दूरी करीब 8 किलोसूमीटर थी। आज पूरे रास्ते वो काफी चुप था। ‘अरे घर पर सब ठीक है, इतने चुप क्यों हो’? विनय ने प्रदीप को कहा। ‘हां सब ठीक है’… प्रदीप वैन आगे बढ़ाता रहा। वैन ओखला मंडी पहुंच चुकी थी। विनय को टॉयलेट जाना था। विनय के कहने पर प्रदीप ने वैन को रोका और विनय को नीचे उतारा। विनय को नीचे उतारते ही प्रदीप को तो जैसे मौका ही मिल गया था अपने सपनों को पूरा करने का। जैसे ही विनय नीचे उतरा, प्रदीप 22 करोड़ रुपये से भरी वैन लेकर तुरंत वहां से फरार हो गया।

विनय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि प्रदीप कैश वैन को कहां लेकर जा रहा है। विनय ने प्रदीप को फोन किया- ‘कहां लेकर जा रहे हो वैन’? प्रदीप ने जवाब दिया- ‘अरे कहीं नहीं यहां ट्रेफिक ज्यादा है थोड़ा आगे लगा रहा हूं’। प्रदीप ने विनय को झूठ कहा था। वो तय कर चुका था कि आज इस कैश को को वो लूट लेगा। 22 करोड़ ने उसके दिमाग में लालच भर दिया और वो कैश वैन को लेकर फिर वापस नहीं लौटा। साल 2015 में नवंबर में हुई ये लूट दिल्ली के सबसे बड़ी लूट मानी जाती है। गनमैन की नज़रों के सामने ही मास्टरमाइंड कैश लेकर फरार हो चुका था।

काफी देर तक जब प्रदीप वापस नहीं आया, तो गनमैन विनय पटेल के भी हाथ-पैर फूलने लगे। 22 करोड़ काफी बड़ी रकम थी। विनय ने तुरंत बैंक को खबर दी। एक्सिस बैंक के विकास पुरी ब्रांच में हड़कंप मच गया। पुलिस की कई टीमें बैंक में पहुंचीं। फटाफट प्रदीप की फोटो निकाली गई और फिर शुरू हुई करोड़ों लेकर फरार हुए कैश वैन ड्राइवर की तलाश। पुलिस की कई टीमें इस जांच में लगी। दिल्ली के कोने-कोने में इस ड्राइवर और कैश वैन की तलाश की जा रही थी। खबर मीडिया तक पहुंच गई थी। टेलीविजन पर भी लगातार दिल्ली के इस चोर के बारे में बताया जा रहा था। लोगों की नज़र भी इस 22 करोड़ के चोर पर थी।

तभी किसी ने पुलिस को खबर दी कि कैश वैन दिल्ली के गोविंदपुरी बस स्टेशन के पास खड़ी है। तुरंत पुलिस की टीम वहां पहुंची। वाकई वो वही कैश वैन थी जो एक्सिस बैंक से सुबह निकली थी, लेकिन वैन में से कैश बॉक्स गायब थे। खाली वैन मिल चुकी थी, लेकिन 22 करोड़ और फरार प्रदीप शुक्ला का कोई पता नहीं था। दिल्ली के तमाम थानों में प्रदीप शुक्ला की फोटो जारी कर दी गई थी। यूपी पुलिस की भी मदद ली गई। दरअसल प्रदीप उत्तर प्रदेश के बलिया का रहने वाला था। उसकी पत्नी और बेटा वहीं बलिया में रहते थे।

पूरी रात प्रदीप की तलाश होती रही, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। अगले दिन सुबह पुलिस को प्रदीप को लेकर कुछ क्लू मिले। पुलिस की टीम ओखला के एक वेयर हाउस में घुसी। प्रदीप उसी गोदाम में छुपा हुआ था। पुलिस को देखते ही वो घबरा गया। प्रदीप ने इसी वेयर हाउस में सारा पैसा छुपाया हुआ था। पुलिस ने वहां से सारा पैसा बरामद किया और प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया गया। वेयर हाउस में एक सुरक्षागार्ड राम सूरत भी मौजूद था। पुलिस ने उससे भी पूछताछ की।

राम सूरत ने बताया कि प्रदीप ओखला मंडी से कैश वैन लेकर सीधा इसी वेयर हाउस में आया। उसने कहा कि वैन में कुछ बॉक्स हैं जिन्हें उसे गोदाम के अंदर रखवाना है। राम सूरत ने बताया कि वो बॉक्स काफी भारी थे, इस वजह से खुद प्रदीप ने ही वो सारे बॉक्स गोदाम के अंदर रखे। उसके बाद वो वहां से चला गया। उसने कहा कि वो थोड़ी देर में गाड़ी लेकर आएगा और इन बॉक्स को यहां से ले जाएगा। राम सूरत ने बताया कि उसके बाद रात में नौ बजे वो फिर वहां आया और उसने बताया कि अब गाड़ी सुबह आएगी और इसलिए वो रात इस गोदाम में बिताएगा।

प्रदीप का प्लान था कि सुबह होते ही वो गोदाम से सारा पैसा निकालकर अपने गांव बलिया चला जाएगा। उस रात उसने 22 करोड़ में से ग्यारह हज़ार रुपये निकाले। वो रात में अपने लिए शराब की एक बोतल और कुछ खाना लेकर आया। इसके अलावा और उसने उन पैसों से एक घड़ी भी खरीदी, लेकिन उसका आगे का प्लान कामयाब नहीं हो पाया। सुबह-सुबह ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। 24 घंटे तक हर तरफ सनसनी मचाने वाला बैंक लुटेरा पुलिस की गिरफ्त में था।

प्रदीप ने बताया कि वो जिस कंपनी के लिए वैन चलाता था, उससे वो काफी नाराज था। प्रदीप का कहना था कि उसे ज्यादा पैसों में साइन करवाकर कम पैसे दिए जाते थे। जिसकी वजह से उसके दिमाग ये आया कि क्यों न बैंक का पैसा चुरा लिया जाए। वो अपने परिवार के साथ अच्छी ज़िंदगी बिताना चाहता था और इसलिए उसने इतने बड़े अपराध को अंजाम दे दिया।

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