जालौन में शक्ति पीठ शारदा देवी मंदिर की दूर-दूर तक मान्यता, 365 दिन लाेग करने आते हैं दर्शन

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जालौन। उत्तर प्रदेश के जालौन में शक्ति पीठ शारदा देवी मंदिर स्थित है। इस ऐतिहासिक मंदिर की दूर-दूर तक मान्यता है। यहां नवरात्र ही नहीं बल्कि 12 महीने 365 दिन लोग दर्शन के लिए आते हैं। नवरात्र में तो यहां पर भव्य तरीके से आयोजन किए जाते हैं। यह मंदिर आखिरी हिन्दू राजा पृथ्वीराज और बुन्देलखंड के वीर योद्धा आल्हा-ऊदल के युद्ध का का भी गवाह रहा है।

यह मन्दिर आदिकाल में निर्मित कराया गया था और मां शारदा की मूर्ति मन्दिर के पीछे बने एक कुंड से निकली थी। प्राचीन किवंदतियों के अनुसार कुंड से मां शारदा प्रकट हुई थी. इसीलिए इस स्थान को शारदा देवी सिद्ध पीठ कहा जाता है. मां शारदा शक्ति पीठ के बारे में दर्शन करने वाले लोगों के अनुसार मूर्ति तीन रूपों में दिखाई देती है. सुबह के समय मूर्ति कन्या के रूप में नजर आती है तो दोपहर के समय युवती के रूप में और शाम के समय मां के रूप में मूर्ति दिखाई देती है। जिनके दर्शनों के लिये पूरे भारत वर्ष से श्रद्धालू दर्शन करने आते हैं।

मां शारदा शक्ति पीठ पृथ्वीराज और आल्हा के युद्ध की साक्षी है। पृथ्वीराज ने बुन्देलखंड को जीतने के उद्देश्य से ग्यारहवीं सदी के बुन्देलखंड के तत्कालीन चन्देल राजा परमर्दि देव (राजा परमाल) पर चढ़ाई की थी। उस समय चन्देलों की राजधानी महोबा थी. आल्हा-उदल राजा परमाल के मंत्री होने के साथ वीर योद्धा भी थे। बैरागढ़ के युद्ध में आल्हा-उदल ने पृथ्वीराज चौहान को युद्ध में बुरी तरह परास्त कर दिया।

बताते है कि आल्हा की सांग आज भी मन्दिर के मठ के ऊपर गड़ी है. यह सांग 30 फीट से भी ऊंची है और जमीन में इतनी ही अधिक गड़ी है। मन्दिर में आल्हा द्वारा गाड़ी गई सांग इसकी प्राचीनता को दर्शाती है। जब आल्हा ने युद्ध से बैराग लिया तभी से यहां का नाम बैरागढ़ पड़ गया. देश में यह मन्दिर दो ही स्थान पर है। जिसमें एक जालौन के बैरागढ़ में और दूसरा मध्य प्रदेश के सतना जनपद के मैहर में स्थित है। मन्दिर की प्रचीनता और सिद्ध पीठ होने के कारण मां शारदा के दर्शन करने के लिए दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं।

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