नई दिल्ली: हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष शनि जयंती 30 मई सोमवार को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2022 में शनि जयंती, सोमवती अमावस्या और सर्वार्थसिद्धि योग का महासंयोग बन रहा है। सोमवती अमावस्या के दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने और दान देने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन नदियों में स्नान कर दान-पुण्य करने से अपार पुण्य फल मिलते हैं।
इस दिन न्याय के देवता शनिदेव महाराज की विधि विधान से पूजा करने से उनकी बुरी दृष्टि से बचा जा सकता है। शनि देव महाराज मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। सभी ग्रहों में शनि की चाल सबसे धीमी है। इसलिए ये एक राशि में कम से कम ढाई साल तक रहते हैं। उस समय को ढैय्या कहा जाता है और कभी-कभी यह एक राशि में साढ़े सात साल तक रहता है। इसे साढ़ेसाती के नाम से जाना जाता है। ढैया और साढ़े साती का प्रकोप बहुत ही अशुभ होता है और मनुष्य के जीवन में उथल-पुथल मच जाती है। शनि जयंती के दिन शनि देव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और सुकर्म योग भी बन रहे हैं। ऐसे में शनि देव की पूजा अधिक पुण्य और फलदायी होगी।
शनि जयंती 2022 तिथि शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत – 29 मई, रविवार, दोपहर 02:54 बजे
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का समापन – 30 मई, सोमवार, शाम 04:59 बजे
शनि देव की पूजा- 30 मई को
सोमवती अमावस्या 2022- 30 मई की सुबह से स्नान और दान