नई दिल्ली : शनि को इस कलयुग में जज यानि न्यायाधीश माना जाता है। कर्मों के फलदाता शनि सभी ग्रहों में सबसे स्लो चाल में राशि परिवर्तन करने वाले ग्रह हैं। 12 राशियों का चक्कर लगाने में यानि एक साइकिल कंप्लीट करने में इन्हें 30 साल का समय लगता है। शनि की साढ़े साती जब चलती है तों जीवन में कई दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। शनि देव 2023 से कुंभ राशि में विराजमान हैं, जो अगले साल गोचर करेंगे।
साल 2025 में शनि देव मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। शनि के गोचर करते ही मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होगा, मीन राशि वालों पर दूसरा और कुंभ राशि वालों पर आखिरी चरण रहेगा। शनि 2025 में मीन राशि में गोचर करेंगे, जो इस समय कुंभ राशि में विराजमान हैं। कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव 3 जून, 2027 तक रहने वाला है। शनि के मीन राशि में गोचर करते ही मेष राशि वालों पर शनि की साढ़े साती शुरू हो जाएगी, जो 2032 तक रहेगी। वृषभ राशि वालों पर शनि साढ़े साती का पहला चरण 2027 में शुरू होगा। मिथुन राशि वालों पर 8 अगस्त, 2029 से शनि की साढ़े साती शुरू होगी, जो अगस्त 2036 तक रहने वाली है। शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव कर्क राशि वालों पर मई 2032 से शुरू होगा, जो 22 अक्टूबर 2038 तक रहेगा। ऐसे में 2025 से 2038 के दौरान शनि की नजर कुंभ, मीन, मेष, वृषभ ,मिथुन और कर्क राशि वालों पर रहेगी।
किस राशि को मिलेगी मुक्ति?
2025 में मीन राशि में शनि के प्रवेश करते ही मकर राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी। वहीं, कर्क और वृश्चिक राशि पर चल रही शनि की ढैय्या भी समाप्त हो जाएगी।