नई दिल्ली: कोरोना महामारी का फैलना वर्ष 2020 की सबसे बड़ी घटना है। तब दुनिया को पता चला कि मनुष्यों का स्वास्थ्य जानवरों से सीधे तौर पर जुड़ा है। मगर पूरा ध्यान दिया गया पक्षियों एवं स्तनधारी जीवों पर। किन्तु किसी ने उभयचरी (Amphibians) जीवों पर ध्यान नहीं दिया। जबकि ये मनुष्यों के स्वास्थ्य में बड़ा अहम योगदान देते हैं। एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि मनुष्यों को सही सेहत में रखने के लिए मेंढकों का रहना बहुत आवश्यक है। जिस हिसाब से ये खत्म हो रहे हैं, या इनकी प्रजातियां समाप्त हो रही है। ये मनुष्यों के लिए खतरनाक है।
1980 के दशक में कोस्टा रिका एवं पनामा में एक्सपर्ट्स ने देखा कि मेंढकों सहित कई अन्य उभयचरी जीवों की संख्या में कमी आ रही है। विशेष रूप से मेंढक और सैलामैंडर। ये एक विशेष प्रकार की बीमारी से मारे जा रहे थे। ये बीमारी एक वायरल फंगल पैथोजेन (Batrachochytrium dendrobatidis) के कारण हो रही थी तथा ये जीव इतनी तेजी से समाप्त हो रहे थे कि वैज्ञानिकों को ढंग से स्टडी करने का अवसर तक नहीं प्राप्त हो रहा था।
वही इस बीमारी से एशिया एवं दक्षिणी अमेरिका में उभयचरी जीवों की 501 प्रजातियां समाप्त हो गईं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में सबसे अधिक विलुप्त होती हुई तथा होने की कगार पर इन जीवों की प्रजातियां हैं। इसके कारण विश्व भर में फंगस तेजी से फैल रहा है। साथ ही मच्छर और मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां भी। मेंढक एवं सैलामैंडर्स मच्छरों की आबादी को समाप्त करने में सहायता करते हैं।
ये उनके लार्वा को खाते हैं। मच्छर मेंढकों एवं सैलामैंडर्स का मुख्य भोजन होते हैं। यदि ये जीव किसी बीमारी से समाप्त हो जाएंगे तो मच्छरों को कौन रोकेगा। मच्छर नहीं रुकेंगे तो मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसे रोगों से मनुष्यों की परेशानिया बढ़ती रहेंगी। इस अध्ययनको दो साल पहले प्रेजेंट किया गया था। लेकिन अब इसका पीयर रिव्यू हुआ है। स्टडी एनवायरमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुई है।