नई दिल्ली: श्रीरामजन्मभूमि पर बन रहे भव्य राममंदिर में विराजित होने वाले रामलला के श्रीविग्रह के निर्माण में चार महीने का वक्त लगेगा। देश भर से आई 12 शिलाओं पर शुरुआती परीक्षण का काम चुनौतियों के बीच जारी है। पत्थरों पर काम पूरा होने के बाद दस मई के बाद से रामलला के विग्रह बनाये जाने का काम शुरू हो जाएगा। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र कहते हैं कि श्री राममंदिर पर देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सनातनियों की आस्था है। इसलिए इस पर तिनका भर की कमी नहीं रहने दी जा रही है। इसलिए इसमें समय लग रहा है। रामलला के श्रीविग्रह का निर्माण पूरा होने में कम से कम चार महीने का समय लगेगा।
पत्थरों का चयन ठीक नहीं तो पलकें नहीं बन पाएगी
एक बातचीत में उन्होंने कहा कि मूर्तिकारों का विशेषज्ञ तरह तरह की चुनौतियों के बीच पत्थरों की घिसाई,सफाई, का काम कर रहा है। यदि पत्थर में एक भी लकीर आ गई तो पूरी मूर्ति पर छाप छोड़ेगी। विशेषज्ञ कहते हैं कि पत्थर से श्रीविग्रह के निर्माण में थोड़ी भी कमी हुई तो उसकी पलक नहीं बन पाएगी। इसलिए हर पहलू व विशेषज्ञ पत्थरों के चयन में हर कोण पर नजर रखते हुए काम कर रहे हैं, इसलिए समय लग रहा है।
नेपाल से आई देव शिला दरार के चलते खारिज
देश भर से फरवरी महीने से मार्च तक 12 शिलाएं अयोध्या के रामसेवकपुरम में पहुंची। इनमें नेपाल से दो शिलाएं, कनार्टक से पांच, एक उड़ीसा से आईं। ये सभी श्याम वर्ण की हैं। इसी तरह से राजस्थान से चार मकराना मार्बल लाए गए। नेपाल से आई बड़ी देव शिला में 27 टन की थी जिसमें कटिंग के बाद दरार की वजह से विशेषज्ञों ने खारिज कर दिया। दूसरी 14 टन वाली शिला में घिसाई जारी है।
तीन विग्रह बनेंगे, सर्वश्रेष्ठ का होगा चुनाव
रामलला के श्रीविग्रह के निर्माण के लिए तीन अलग अलग कक्षों को बनाकर तैयार कर दिया गया है। रामसेवकपुर में दो कमरे, विवेक सृष्टि भवन में तीसरा कक्ष बनकर तैयार है। दस तारीख को तीनों टीमें अयोध्या आएगी। ख्यातिलब्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज एक बार भ्रमण कर वापस जा चुके हैं। कनार्टक के मूर्तिकार प्रोफेसर गणेश लाल भट्ट , राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय का अपनी टीम के साथ आने की संभाावना है। तीनों विशेषज्ञ अपनी अपनी टीम के साथ दस के बाद काम शुरू करेंगे, जो विग्रह सर्वोत्तम होगा उसी का चुनाव किया जाएगा।