नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्ती चेलमेश्वर ने कॉलेजियम पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि यह व्यवस्था पारदर्शी तरीके से काम नहीं करती है। साथ ही उन्होंने कुछ न्यायाधीशों को भी काम के मामले में अयोग्य बताया है और कहा कि आलस के कारण कई बार फैसले समय पर नहीं लिखे जाते। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के बयानों पर भी सवाल उठाए हैं।
पूर्व जज चेलमेश्वर केरल हाईकोर्ट में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘कुछ आरोप कॉलेजियम के सामने आते हैं, लेकिन आमतौर पर उन्हें लेकर कुछ नहीं किया जाता। अगर आरोप गंभीर हैं, तो कार्रवाई शायद हो। आम समाधान जज का तबादला करना होता है…। कुछ जज इतने आलसी होते हैं और फैसले लिखने में सालों साल लगा देते हैं। कुछ जज अयोग्य हैं।’
उन्होंने लोकतंत्र में स्वतंत्र न्यायपालिका की बात कही है। उन्होंने कहा, ‘जरा सोचिए ऐसा नहीं होगा तो क्या होगा। सोचिए एक पुलिसकर्मी क्या कर सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि वह बुरे हैं, लेकिन उनके पास ताकत है और वे खुद के लिए कानून तय कर सकते हैं।’ जस्टिस चेलमेश्वर जून 2018 में रिटायर हो गए थे।
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने संभावनाएं जता दी कि इन टिप्पणियों के बाद उनकी आलोचना की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘अब अगर मैं कुछ कहूंगा, तो कल यह कहकर ट्रोल किया जाऊंगा कि यह रिटायर होने के बाद ये सब क्यों कह रहा है। लेकिन यह भाग्य है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के दो फैसलों को वापस भेज दिया, क्योंकि वह नहीं समझ पा रहा था कि फैसले में क्या कहा गया है।’
उन्होंने कहा, ‘हमारे मौजूदा कानून मंत्री ने 42वें संशोधन के आधार पर बयान दिया है। और मुझे यह कहना होगा कि इस तरह कि मर्दानगी सभी के लिए खराब है। कोई भी आम आदमी या इस पर ध्यान नहीं लगा रहा है कि उन्हें प्रभावित करने वाली व्यवस्था को कैसे सुधारा जाए।’