नयी दिल्ली. राजस्थान के मुख्यमंत्री पद (Rajasthan CM) को लेकर खींचतान के बीच प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कांग्रेस प्रमुख (Congress President) का चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। ऐसे में गहलोत के राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने पर सस्पेंस बना हुआ है। इस बीच कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) ने गुरुवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी अगले एक-दो दिन में राजस्थान के मुख्यमंत्री के बारे में फैसला करेंगी।
वेणुगोपाल ने सोनिया गांधी के आवास के बाहर संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि, “राजस्थान के सीएम पर कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी 1-2 दिन में फैसला करेंगी।” वेणुगोपाल ने कहा, “कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर तटस्थ हैं। आइए कल का इंतजार करें, हमें एक स्पष्ट तस्वीर मिलेगी।”
इससे पहले, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया से मुलाक़ात की थी और जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं हो पाने की घटना के लिए उनसे माफी मांगी। उन्होंने यह भी कहा कि वह अब अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। सोनिया गांधी के आवास ‘10 जनपथ’ पर उनसे मुलाकात के बाद गहलोत ने यह भी कहा कि उनके मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के बारे में फैसला सोनिया गांधी करेंगी।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, “मैं पिछले 50 वर्षों से कांग्रेस का वफादार सिपाही रहा हूं…जो घटना दो दिन पहले हुई उसने हम सबको हिलाकर रख दिया। मुझे जो दुख है वो मैं ही जान सकता हूं। पूरे देश में यह संदेश चला गया कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं इसलिए यह सब हो रहा है।”
गहलोत ने कहा, “हमारी परंपरा है कि एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया जाता है। दुर्भाग्य से ऐसी स्थिति बन गई कि प्रस्ताव पारित नहीं पाया। मैं मुख्यमंत्री हूं और विधायक दल का नेता हूं। यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया, इस बात का दुख मुझे हमेशा रहेगा। मैंने सोनिया जी से माफी मांगी है।”
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उन्होंने कहा, “मैंने तय किया है कि इस माहौल के अंदर अब चुनाव नहीं लड़ूंगा। यह मेरा फैसला है।” कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर राजस्थान में उत्पन्न राजनीतिक संकट की छाया पड़ी है। गत रविवार की शाम जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक इसमें शामिल नहीं हुए थे।
पार्टी पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन ने इसे मंगलवार को ‘घोर अनुशासनहीनता’ करार दिया था और गहलोत के करीबी तीन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की थी। अनुशंसा के कुछ देर बाद ही पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति की ओर से इन्हें ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर दिये गये।