वायु प्रदूषण को लेकर डाक्टरों की सख्त चेतावनी, भविष्य में नहीं होंगे बच्चे पैदा, जानिए असल कारण

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में खराब वायु गुणवत्ता को लेकर डॉक्टरों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वायु प्रदूषक (एयर पॉल्यूटेंट्स) श्वसन और हृदय संबंधी समस्याओं के अलावा वजन बढ़ाने, मोटापे की दर बढ़ाने और हार्मोनल इंबैलेंस का कारण बन सकते हैं।

शुक्रवार की सुबह दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई, और क्षेत्र में धुंध की एक पतली परत छाई रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, सुबह 7.15 बजे दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 371 रहा। दिल्ली के सात इलाकों में, एक्यूआई का स्तर 400 से ऊपर और 450 के बीच रहा। आनंद विहार में एक्यूआई 410, बवाना में 411, जहांगीरपुरी में 426, मुंडका में 402, नेहरू नगर में 410, शादीपुर में 402 और वजीरपुर में 413 रहा। क्लाउडनाइन अस्पताल की वरिष्ठ सलाहकार और एसोसिएट निदेशक प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शैली शर्मा ने आईएएनएस को बताया, “वायु प्रदूषण मेटाबॉलिक सिस्टम को बिगाड़ते हैं। जिसका सीधा असर हार्मोंस पर पड़ता है। इससे वजन बढ़ सकता है। जिससे आप मोटापे के शिकार हो सकते हैं।”

शैली शर्मा ने कहा, ”वायु प्रदूषण से पैसिव बिहेवियर में वृद्धि हो सकती है क्योंकि इससे खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसे कुछ श्वसन संबंधी लक्षण हो सकते हैं जो शारीरिक गतिविधियों को बाधित कर सकते हैं और वजन बढ़ा सकते हैं। यह इंसुलिन रेजिस्टेंस को भी बढ़ाता है जिससे मोटापा बढ़ता है।” हाल के अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि वायु प्रदूषण में मौजूद पीएम, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के संपर्क में रहने से सिस्टमिक इन्फ्लेमेशन और मेटाबॉलिज्म संबंधी गड़बड़ी हो सकती है, जो वजन बढ़ने का मुख्य कारण है। जुलाई में बीएमसी पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक मेटा-विश्लेषण में पाया गया कि वायु प्रदूषण वसा ऊतकों (फैट टिशू) में सूजन को प्रभावित करके, ऑक्सीडेटिव तनाव को बढ़ाकर और व्यक्तिगत आहार संबंधी आदतों को बदलकर मेटाबॉलिक सिस्‍टम को प्रभावित कर सकता है। सीके बिड़ला अस्पताल के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के निदेशक और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मित्तल ने आईएएनएस को बताया, ”हालांकि वायु प्रदूषण के कारण मेटाबोलिक सिंड्रोम व मोटापे की खबरें आई हैं, लेकिन वायु प्रदूषण के मेटाबोलिक सिस्‍टम और हार्मोन्स पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कहा गया है।”

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