मुंबई : एक्टर अध्ययन सुमन ने संजय लीला भंसाली की ‘हीरामंडी’ से एक्टिंग में वापसी करते हुए, कई सारी चीजों पर बात की है। 2008 में दो अच्छी फिल्मों की सफलता के बावजूद काम से बाहर होने के अपने अनुभव को शेयर करते हुए एक्टर ने काफी कुछ बताया। एक इंटरव्यू में, अध्ययन ने एक समय को याद किया, जब वो अपने करियर में पूरी तरह से टूट गए और हार मानने के बारे में सोचने लगे। उन्होंने इस बारे में बताया कि उस दौर का सबसे कठिन पहलू अपने माता-पिता की पीड़ा को देखना था जब वे उनके साथ खड़े थे।
हालांकि, अब उन्हें विश्वास है कि ‘हीरामंडी’ उनके बारे में लोगों की धारणा बदल देगी। अध्ययन सुमन ने बताया कि कैसे उनके माता-पिता, शेखर सुमन और अलका सुमन ने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान उनकी मदद की। एक्टर ने कहा, ‘मैं अतीत पर ध्यान नहीं देना पसंद करता हूं, लेकिन कुछ कठिन दौर भी आए हैं और वे पूरे समय मेरे साथ रहे हैं। मेरी मां काफी भावुक हैं, जबकि मेरे पिता भी भावुक होते हुए भी अपनी भावनाओं को अपने तक ही सीमित रखते हैं। अक्सर , मुझे उनके इंटरव्यूज के जरिए मेरे प्रति उनकी भावनाओं का पता चलता है क्योंकि वह उन्हें घर पर खुले तौर पर व्यक्त नहीं करते हैं।’
एक्टर ने बताया कि उनके माता-पिता के सपोर्ट और उनके खुद के आत्मविश्वास ने उन्हें नशीली दवाओं, ड्रग्स और शराब के जाल में फंसने से रोका। अध्ययन ने बताया कि वह आसानी से नशीली दवाओं या शराब के दुरुपयोग में पड़ सकते थे, लेकिन उन्होंने जानबूझकर ऐसा नहीं करने का फैसला किया। उन्होंने स्वीकार किया कि पहले उनके जीवन में एक बड़ा बोझ था, लेकिन वह बोझ अब मौजूद नहीं है। एक्टर ने कहा कि उनके माता-पिता ने उनके भाई को खो दिया था, जो बेहद दर्दनाक था।
इस पर बात करते हुए, उन्होंने सवाल किया कि क्या वह जिंदगी में गलत ऑप्शन चुनकर अपने माता-पिता का दर्द बढ़ाना चाहते हैं। इसलिए, उन्होंने खुद को हर दिन का सामना करने, चुनौतियों से निपटने, जरूरी कॉल करने, ऑडिशन में जाने और एक एक्टर तौर पर हर काम को संभालने के लिए खुद को प्रेरित किया।