नई दिल्ली : अमेरिका में आज मंगलवार (05 नवंबर) को राष्ट्रपति चुनाव का फाइनल है. अमेरिका में 5 नवंबर की सुबह होते ही 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए वोट दिए जाएंगे. इस बार राष्ट्रपति बनने के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से कमला हैरिस चुनावी मैदान में एक-दूसरे के सामने खड़े हैं. इस चुनाव में जीत के लिए दोनों उम्मीदवार एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. इसलिए चुनाव होने पर ही पता चलेगा कि अमेरिका की कमान किसके हाथों में होगी. अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव अक्सर मशहूर रहे हैं. कभी चुनाव में अपनी जटिल प्रणालियों, उम्मीदवारों के मुद्दे और कई बार अमेरिकी चुनाव हिंसा के लिए भी मशहूर रहा है. हालांकि एक बार अमेरिका में ऐसा चुनाव हुआ था, जिसने अमेरिकी चुनाव को अनोखे रूप में दर्ज कर दिया.
साल 1872 में अमेरिका में हुआ राष्ट्रपति चुनाव इतिहास का सबसे असामान्य चुनाव था. तत्कालीन राष्ट्रपति यूनिसिस एस. ग्रांट अपने दूसरे कार्यकाल के लिए चुनावी मैदान में दौड़ रहे थे. वहीं, उनके विरोध में न्यूयॉर्क ट्रिब्यून के संस्थापक और संपादक होरेस ग्रीली थे. ग्रीली ग्रांट प्रशासन के मुखर आलोचक के रूप में जाने जाते थे. तब के चुनाव में ग्रांट को रिपब्लिकन पार्टी में विभाजन का भी सामना करना पड़ा था, इसके बावजूद ग्रांट ने ग्रीली को हरा दिया. लेकिन एक घटना के कारण ये चुनाव अजीब बन गई.
पॉपुलर वोट के कुछ दिनों के बाद ही न्यूयॉर्क ट्रिब्यून के संस्थापक और राष्ट्रपति उम्मीदवार होरेस ग्रीली की मौत हो गई. जिसके बाद वे मुर्दा उम्मीदवार बन गए थे. बता दें कि अमेरिकी चुनाव में राष्ट्रपति का चयन इलेक्टोरल कॉलेज से होता है. ग्रीली की मौत के बाद इलेक्टोरल कॉलेज के सामने मुश्किल खड़ी हो गई कि वह ऐसे उम्मीदवार को कैसे चुनें जो पहले ही मर गया है.
यूनिसिस ग्रांट के पार्टी के फिर से उम्मीदवार बनने से पार्टी में हर कोई खुश नहीं था. पार्टी के अंदर ही दो गुट बन गए और ग्रांट के विपक्षियों ने इसे मौके के रूप में देखा. फिर लिबरल रिपब्लिकन के साथ अस्थायी गठबंधन करके ग्रीली का समर्थन किया. यह चुनाव अमेरिका का एकमात्र ऐसा चुनाव था, जिसमें किसी उम्मीदवार की मौत पॉपुलर वोट और इलेक्टोरल कॉलेज वोट के बीच हुई थी.