नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समलैंगिक समुदाय के मुद्दों का परीक्षण करने के लिए केंद्र ने कैबिनेट सचिव की अगुआई में एक समिति का गठन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रियो बनाम केंद्र सरकार केस में अपने फैसले में कहा था कि एलजीबीटीक्यूआईए प्लस कपल्स को हिंसा से प्रोटेक्ट किया जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकों की शादी को मान्यता देने की गुहार को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब केंद्र सरकार ने कैबिनेट सेक्रेटरी की अगुआई में एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में होम मिनिस्ट्री, महिला व बाल विकास मिनिस्ट्री, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मिनिस्ट्री और सोशल जस्टिस मिनिस्ट्री के सेक्रटरी को रखा गया है। इस बाबत केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकशन जारी किया गया है और कहा गया है कि कमेटी कुछ मुद्दों का परीक्षण करेगी और उस मामले में सिफारिश करेगी। नोटिफिकेशन के मुताबिक कमिटी एक्सपर्ट और अन्य अधिकारियों से मदद ले सकती है।
किन मुद्दों पर कमेटी को करना है सिफारिश
एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय के लोगों को किसी भी सेवा पाने के लिए किसी तरह का भेदभाव का सामना न करना पड़े इसे केंद्र और राज्य सरकार सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने के संबंध में।
केन्द्र और राज्य सरकार को ऐसे कदमों के बारे में सुझाव देगी जिससे समलैंगिक समुदाय को वस्तुओं और सेवाओं तक बिना किसी भेदभाव तक पहुंच सुनिश्चित हो सके।
एलजीबीटीक्यूआईए प्लस को किसी भी हिंसा और प्रताड़ना या फिर किसी भी भेदभाव से बचाना सुनिश्चित किया जाए।
उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध ट्रीटमेंट न दिया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसमें मेंटल हेल्थ भी शामिल है।
एलजीबीटीक्यूआईए प्लस के लोगों को किसी भी तरह के सोशल वेलफेयर के हक से उन्हें वंचित न किया जाए और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने के संबंध में सिफारिश।
और अन्य कोई मुद्दा हो जो जरूरी हो उसके लिए भी कमिटी को सिफारिश करने को कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट का क्या था 17 अक्टूबर का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने एकमत से समलैंगिक की शादी को मान्यता नहीं दी थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से कहा था कि होमोसेक्सुअल कपल गोद नहीं ले सकते हैं। पांचों जज ने हालांकि एक मत से शादी की मान्यता देने से इनकार कर दिया था लेकिन पांचों जज ने केंद्र सरकार से कहा कि वह हाई पावर कमिटी का गठन करे और होमो सेक्सुअल कपल के सिविल राइट्स के बारे में परीक्षण करे और फैसला ले।