नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली करीब 200 याचिकाओं पर 12 सितंबर को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित और एस. रवींद्र भट सोमवार को याचिकाओं पर सुनवाई करने वाले हैं। दिसंबर 2019 में शीर्ष अदालत ने कानून के संचालन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और अधिनियम के खिलाफ याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया था।
शीर्ष अदालत ने जनवरी 2020 में केंद्र से जवाब मांगा था। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण मामला अदालत के समक्ष नियमित सुनवाई के लिए नहीं आ सका। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर, 2019 को नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी दी थी और इसे एक अधिनियम में बदल दिया था। याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि विधेयक संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है।
संशोधित कानून 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों के गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के पक्ष में है। अधिनियम के खिलाफ याचिकाकर्ताओं में से एक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने दावा किया कि यह अधिनियम समानता के मौलिक अधिकार का हनन करता है और यह धर्म के आधार पर बहिष्कार करके अवैध अप्रवासियों के एक वर्ग को नागरिकता प्रदान करने का इरादा रखता है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि यह अधिनियम संविधान के तहत परिकल्पित मूल मौलिक अधिकारों पर एक ‘बेरहम हमला’ है।