नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में लोगों को फंसाने के लिए कथित सबूत बनाने और जालसाजी के आरोप में 25 जून को गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की अंतरिम जमानत याचिका को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने याचिकाकर्ता के महिला होने और जांच एजेंसी द्वारा उन्हें गिरफ्तारी के बाद सात दिनों तक हिरासत में पूछताछ के तथ्य पर गौर करते हुए जमानत की अर्जी मंजूर की।
पीठ ने अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि अपीलकर्ता महिला 25 जून से हिरासत में है। उनके खिलाफ आरोप 2002 से 2012 के दौरान के हैं। जांच एजेंसी को सात दिनों की हिरासत में पूछताछ का फायदा हुआ। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू के अनुरोध पर पीठ ने स्पष्ट किया कि सीतलवाड़ को दी गई जमानत का इस्तेमाल अन्य आरोपियों को इसी तरह की राहत पाने के लिए नहीं किया जा सकता है। पीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को शनिवार तक निचली अदालत में पेश किया जाए और निचली अदालत द्वारा निर्धारित शर्तों पर रिहा किया जाए।
शीर्ष न्यायालय ने गुरुवार को उनकी जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय द्वारा दी गई छह सप्ताह की लंबी तारीख पर सवाल किया था। उच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार को उसकी याचिका पर तीन अगस्त को नोटिस जारी किया था और मामले की सुनवाई 19 सितंबर को तय की थी। याचिकाकर्ता ने इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। शीर्ष न्यायालय ने 24 जून 2022 को 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री) और अन्य को अदालत द्वारा गठित एसआईटी की ओर से दी गई ‘क्लीन चिट’ को बरकरार रखा था।