जलगांव : बहुचर्चित घरकुल घोटाले (Famous Gharkul Scam) के मुख्य आरोपी सुरेश जैन (Suresh Jain) को नियमित जमानत मिल (Regular Bail) गई है, इससे पहले उन्हें चिकित्सा आधार पर जमानत दी गई थी लोकिन सुरेश जैन को जमानत मिली है, वह नियमित हो गई है। इस जमानत के बाद सुरेश जैन अब देश में कहीं भी आ-जा सकेंगे। सुरेश जैन को जमानत मिलते ही उनके समर्थकों में आनंद की लहर दौड़ पड़ी। सुरेश जैन की जमानत पर मुंबई हाईकोर्ट (Mumbai High Court) में सुनवाई हुई।
घरकुल घोटाले में केस दर्ज होने के बाद सुरेश जैन को गिरफ्तार किया गया था, उन्हें कोर्ट ने सजा भी सुनाई थी। सुरेश जैन पांच साल तक जेल में रहे। इस बीच, उन्हें चिकित्सा आधार पर जमानत दे दी गई, लेकिन उनके जलगांव जिले में आने पर रोक लगा दी गई। मुंबई हाईकोर्ट में सुरेश जैन की जमानत की कार्यवाही पूरी हुई, इसमें मुंबई हाईकोर्ट ने सुरेश जैन को बिना शर्त जमानत दे दी थी। सुरेश जैन सिर्फ जलगांव ही नहीं, बल्कि पूरे देश में कहीं भी घूम सकेंगे, क्योंकि यहां कोई नियम या शर्तें नहीं हैं। अब जब सुरेश जैन को नियमित जमानत मिल गई है तो यह देखना होगा कि क्या वह दोबारा राजनीति में सक्रिय होते हैं या नहीं।
जैन को इससे पहले खराब स्वास्थ्य के कारण 2019 में मेडिकल जमानत दी गई थी। जलगांव के बहुचर्चित घरकुल मामले में सुरेश जैन और अन्य को धुलिया जिला सत्र न्यायालय ने सजा व जुर्माना लगाया था, इसके बाद ज्यादातर संदिग्धों को नासिक जेल भेज दिया गया। कुछ अपवादों को छोड़कर बाकी लोगों को जमानत मिल गई, लेकिन मुख्य आरोपी सुरेश जैन को राहत नहीं मिली, उसके बाद सुरेश जैन ने मुंबई हाईकोर्ट में नियमित जमानत के लिए याचिका दायर की। याचिका की सुनवाई जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस प्रकाश नाइक की बेंच के समक्ष हुई। धुलिया सत्र न्यायालय की सजा के खिलाफ सुरेश जैन ने मुंबई हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है। सत्र न्यायालय ने उन्हें दोषी करार देते हुए सात साल कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि इस याचिका के जरिए मामले की अंतिम सुनवाई तक सजा पर रोक लगाने की मांग की गई है।
31 अगस्त, 2019 को जिला सत्र न्यायालय ने सुरेश जैन और 47 अन्य को ‘घरकुल’ योजना में 29 करोड़ रुपए की हेराफेरी के आरोप में दोषी ठहराया था। सजा के दिन सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने का भी आदेश दिया गया था। साथ ही इस मामले में कोर्ट ने 100 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया था। इस घरकुल योजना में करीब 5000 घरों का निर्माण किया जाना था, लेकिन 1500 घर ही बनाए गए। अभियोजन पक्ष में आरोप लगाया गया कि अभियुक्तों ने बिल्डरों और अधिकारियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार करने की साजिश रची। वर्ष 2006 में तत्कालीन महानगरपालिका कमिश्नर प्रवीण गेडाम ने इसकी विधिवत शिकायत की थी। जैन को इस मामले में मार्च 2012 में गिरफ्तार किया गया, बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी।