उत्तर प्रदेश में मदरसों की सर्वे रिपोर्ट आई, ज्‍यादातर चल रहे गैरमान्यता प्राप्त

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्‍यनाथ की सरकार (Yogi Adityanath government in Uttar Pradesh) एक्‍शन में आ गई है। उत्तर प्रदेश में में गैरमान्यता प्राप्त मदरसों (Unrecognized Madrasas) का सर्वे चल रहा है। अभी तक सर्वे की जो रिपोर्ट (survey report) आई है, उनमें से सैकड़ों मदरसे ऐसे पाए गए जो मानक के विपरीत हैं।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वे चल रहा है। जिसमें 6 हजार 502 चिन्हित मदरसों में से 5 हजार 200 का सर्वे पूरा हो गया है। हाल ही में आई रिपोर्ट में पता चला कि मुरादाबाद में 585 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मिले हैं, जिनकी संख्या प्रदेश में सबसे ज्यादा है। वहीं, गाजियाबाद में 139 मदरसे बिना मान्यता के चलते हुए मिले. इनमें से 76 मदरसे लोनी तहसील के हैं वहीं, मोदीनगर तहसील के 5 और गाजियाबाद सदर तहसील के 58 मदरसे बिना मान्यता चलते पाए गए हैं। इसके अलावा, गोरखपुर में कुल 243 मान्यता प्राप्त मदरसों में से 10 अनुदानित और 142 बिना मान्यता के चलते हुए मिले हैं। इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। इतना ही नहीं, कानपुर नगर में 86 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। इनमें से 66 मदरसों का सर्वे पूरा हो गया है और 12 की सोसाइटी रजिस्टर्ड नहीं मिली है। इसके अलावा, अयोध्या में 143 में से 55 मदरसे बिना मान्यता के चल रहे हैं. इनमें रुदौली में 21, मिल्कीपुर में 10, सदर तहसील में 9 और बीकापुर में 6 बिना मान्यता के मिले!

प्रयागराज में 269 मदरसों में से 78 मदरसे ऐसे हैं, जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं. वहीं, प्रयागराज में 78 मदरसों में लगभग 15 हजार की संख्या में छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. बड़ी खबर यह है कि जांच में बिना मान्यता के चल रहे मदरसों में करोड़ों की फंडिंग की भी बात सामने आई। प्रदेश के और भी जिलों से सर्वे रिपोर्ट आई है, जिनमें बताया गया है कि बाराबंकी में 320 मदरसे मान्यता प्राप्त है, लेकिन 102 मदरसे बिना मान्यता के चल रहे हैं। पीलीभीत में कुल 245 मदरसों में से 220 मदरसों को ही मान्यता मिली है। बाकी 25 मदरसे रजिस्टर्ड नहीं हैं वहीं, मुरादाबाद में 585 मदरसों में से 175 गैर मान्यता प्राप्त निकले हैं और देवबंद में 100 मदरसों का मान्यता नहीं पाई गई। इसके साथ ही, सहारनपुर में 754 में से 76 मदरसों के पास मान्यता नहीं है। आगरा में भी 97 मदरसों का संचालन मौजूदा समय में किया जा रहा है। इनमें से 10 ऐसे हैं, जिनके पास मान्यता संबंधित कोई अभिलेख नहीं मिले।

आपको बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने प्रदेश के मदरसों में यौन शोषण समेत बाल अधिकारों के उल्लंघन के मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार से सर्वेक्षण कराने की अपील की थी। फिर अगस्त 2022 से सर्वे की शुरुआथ हुई थी. इसके बाद राजनीति गरमाना शुरू हो गई। सपा ने सर्वे पर आपत्ति जताई, तो एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन अवैसी ने सर्वे को ‘मिनी एनआरसी एक्सरसाइज’ तक करार दे दिया।

विदित हो कि उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड ने 2017 से मान्यता देना बंद कर दिया है। सर्वे के दौरान कई मदरसा संचालकों ने अफसरों को मान्यता नहीं होने की यही वजह बताई। प्रबंधकों का कहना है कि सभी दस्तावेज देने के बाद भी मान्यता नहीं मिली है। ऐसे में वह दीनी तालीम देने के लिए मदरसा संचालित कर रहे हैं। सरकार के मुताबिक, प्रदेश में फिलहाल 15 हजार 6 सौ 13 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं।

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