नई दिल्ली: चीन के साथ जारी तनाव के बीच ताइवान ने अब भारत से मदद की गुहार लगाई है। हालांकि, ताइवान इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन यानी इंटरपोल में शामिल होना चाहता है। इसके लिए वह भारत से मदद मांग रहा है। खास बात है कि अमेरिकी राजनेता की ताइवान यात्रा के बाद चीन भी आक्रामक रवैया अपनाए हुए है।
खबर है कि ताइवान के आसपास चीन का बड़े स्तर पर सैन्य अभ्यास जारी है। इंडिया टुडे से बातचीत में क्रिमिन इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के आयुक्त ने कहा, ‘ताइवान इंटरपोल का सदस्य नहीं है। हम आम सभा में हमारा प्रतिनिधिमंडल नहीं भेज सकते। भारत मेजबान देश है, जिसके पास हमे आमंत्रित करने की शक्ति है।
हम पर्यवेक्षक के तौर पर ताइवान को बुलाने की भारत और अन्य देशों से उम्मीद करते हैं।’ खास बात है कि 90वीं इंटरपोल आमसभा अक्टूबर में भारत में आयोजित होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बढ़ते दबदबे के साथ चीन पर अपने फायदे के लिए इंटरपोल के गलत इस्तेमाल के आरोप लगते रहे हैं। खबर है कि वह आर्थिक ताकत का इस्तेमाल कर साल 2016 से इंटरपोल पर अपना प्रभाव दिखा रहा है।
अमेरिकी सरकार ने गुरुवार को ताइवान के साथ व्यापार वार्ता शुरु करने की घोषणा की जिसे द्वीपीय देश के लिए समर्थन के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। चीन ताइवान पर अपना दावा करता है और उसने चेतावनी दी है कि यदि आवश्यक हुआ तो वह ”अपनी संप्रुभता की रक्षा” के लिए कार्रवाई करेगा। ताइवान को भयभीत करने के लिए बीजिंग द्वारा समुद्र में मिसाइल दागे जाने के बाद यह घोषणा की गई है।
यूरोप के एक छोटे से देश लिथुआनिया ने एक चीन नीति को चुनौती देते हुए गुरुवार को ताइवान के लिए अपना पहला प्रतिनिधि नियुक्त किया। चीन स्व-शासित द्वीप ताइवान को अपना क्षेत्र बताता रहा है। चीन ताइवान को अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा मानता है वह ताइवान के साथ किसी भी खुले राजनयिक संबंधों का विरोध करता है। हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट समाचार पत्र के अनुसार ताइवान ने कहा है कि वह ताइपे में नवनियुक्त लिथुआनियाई दूत के साथ मिलकर काम करेगा।