नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और आम आदमी पार्टी के टैक्स निर्धारण को लेकर याचिकाओं पर सुनवाई टल गई है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर 9 अक्टूबर को सुनवाई करेगा. दरअसल, उक्त सभी नेताओं और पार्टी ने आयकर अधिकारियों के टैक्स निर्धारण को सेंट्रल सर्किल में ट्रांसफर करने के फैसले को चुनौती दी है।
इस पर मंगलवार को संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला ट्रांसफर इनकम टैक्स विभाग के अधिकार क्षेत्र में है. हम सिर्फ कानूनी प्रावधानों को देखेंगे. अगर क्रॉस ट्रांजेक्शन हुए हैं तो केंद्रीय सर्किल की जांच की जरूरत हो सकती है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने आप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से सवाल किया कि अपील दायर करने में पांच महीने की देरी क्यों हुई. ऐसे मामलों में, एक दिन की भी देरी घातक है. इस पर सिंघवी ने जवाब दिया, “केवल विशेष अनुमति याचिका एक राजनीतिक दल द्वारा दायर की जाती है – जो कि आम आदमी पार्टी है. ये ओवरलैपिंग विषय-वस्तु हैं।
वहीं गांधी परिवार और उनसे जुड़े ट्रस्टों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा, ”2019 में फेसलेस असेसमेंट स्कीम आने के बाद मेरा मामला और खराब हो गया है. 143 की कार्यवाही शुरू हुई. फिर अचानक, संजय भंडारी के मामले में सर्च शुरू हुई और इन्होंने इन सभी मामालों को एक साथ जोड़ दिया, क्योंकि रॉबर्ट वाड्रा इनके दामाद हैं।”
बता दें कि संजय भंडारी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में भारतीय एजेंसियों के लिए वांटेड है. वह कथित तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ा हुआ बताया जाता है. हालांकि रॉबर्ट वाड्रा ने आरोपी से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया है। इस पर पीठ ने कहा, “जहां तक व्यक्तियों का सवाल है, यदि परस्पर लेनदेन होता है, तो केंद्रीकृत मूल्यांकन की आवश्यकता हो सकती है।”
इसके बाद न्यायमूर्ति खन्ना ने आयकर विभाग की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह से पूछा कि ट्रस्टों को क्यों शामिल किया गया है और कहा, “फेसलेस मूल्यांकन में क्या अधिकारियों ने कंप्यूटर उठाए हैं – मुझे पूरी जानकारी चाहिए।” इसके बाद पीठ ने अगले सप्ताह सोमवार के लिए सुनवाई तय की और कहा, “हम इस मामले से राजनीतिक रूप से नहीं, बल्कि कानूनी तौर पर निपटेंगे।”
गौरतलब है कि मई में, दिल्ली हाईकोर्ट ने आप, गांधी परिवार और पांच ट्रस्टों की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने अपने कर निर्धारण को फेसलेस मूल्यांकन से केंद्रीय सर्कल में स्थानांतरित करने के आयकर विभाग के आदेशों को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट की पीठ ने फैसला सुनाया कि फेसलेस मूल्यांकन योजना के तहत मूल्यांकन का कोई मौलिक कानूनी अधिकार नहीं है।