टैक्‍सपेयर के पास दो दिन का मौका, अगर नहीं फाइल किया ITR तो होगी मुश्किल

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नई दिल्ली (New Delhi)। वित्त वर्ष 2019-20 या एसेसमेंट ईयर 2020-21 के लिए अपडेट इनकम टैक्स रिटर्न (income tax return) जमा करने की आखिरी तारीख 31 मार्च 2023 है। अपडेटेड आईटीआर के तहत टैक्‍सपेयर (taxpayer) को बड़ी सुविधा दी गई है। इस फॉर्म से कोई भी टैक्सपेयर असेसमेंट ईयर (taxpayer assessment year) के खत्म होने के 2 साल के अंदर रिटर्न अपडेट कर सकता है। यानी आपके पुराने आईटीआर में कोई गलती है या फिर कोई वित्तीय की जानकारी देना चाहते हैं, जो पहले छूट गई थी तो इसे भरकर आप सुधार सकते हैं।

कितना लगता है फाइन
सीए संतोष मिश्रा बताते हैं कि ITR-U फाइल करने वाले छोटे करदाताओं यानी 2.5 लाख तक आय वालों के लिए 1,000 रुपये फाइन देना होता है। वहीं, जिनकी आय 5 लाख रुपये से अधिक है उन्हें 5,000 रुपये तक देने पड़ सकते हैं। दरअसल ITR-U को अपडेट आईटीआर भी कहते हैं। ITR-U इस सेक्शन के अंडर आने वाला एक ऐसा फॉर्म है, जो टैक्सपेयर को अपने इनकम टैक्स रिटर्न को अमेंड करने का मौका देता है।

फायदा कम नुकसान ज्यादा
सीए अजय बगड़िया बताते हैं कि वैसे सैलरी क्लास के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए 31 जुलाई लास्ट डेट होती है और अगले साल मार्च तक पेनाल्टी के साथ आईटीआर फाइल किया जा सकता है। अब सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 से नई व्यवस्था कर दी है। 31 जुलाई तक नार्मल रिटर्न दाखिल किया सकता है। जुलाई से दिसंबर तक अगर आपकी इनकम पांच लाख से कम है तो 1000 और अधिक है तो 5000 रुपये पेनाल्टी के साथ रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।

सीए अभिनंदन पांडेय ने बताया कि सरकार ने हाल ही में आईटीआर-यू लाया है। आप दिसंबर के बाद सामान्य रिटर्न दाखिल नहीं कर सकते। आपको आईटीआर-यू के जरिए ही रिटर्न फाइल करना पड़ेगा। इसके तहत आपको टैक्स और पेनाल्टी दोनों देनी पड़ेगी। इसके ऊपर सरकार टोटल टैक्स का एडिशनल पेनाल्टी ले रही है।

भारी पड़ेगी आईटीआर फाइल न करने की गलती
पांडेय ने कहा, ” ये तो रही टैक्स की बात। अब अगर आप किसी का कारणवश रिटर्न फाइल करने से चूक जाते हैं और आपका रिफंड बन रहा है तो आप आईटीआर-यू नहीं भर सकते। सीए अभिनंदन सरकार की इस व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि टैक्स अगर बन रहा है तो आईटीआर-यू है और अगर रिफंड बन रहा तो आप नहीं भर सकते।”

रिफंड वालों को भी आईटीआर-यू फाइल करने की छूट
उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को उन टैक्सपेयर्स के बारे में भी सोचना चाहिए, जिनका अधिक टैक्स कट चुका है। करयोग्य आय न होने के बावजूद उनका रिफंड हाथ से केवल एक चूक से चला जा रहा है। ऐसे लोगों के लिए सरकार को आईटीआर-यू में ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि पेनाल्टी और टैक्स ( जो भी बनता हो) रिफंड से एडजस्ट हो जाए। अभिनंदन ने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि मान लिए आपकी इनकम 5 लाख है और 10000 रुपये कहीं टैक्स कट गया है। इस केस में 1000 रुपये की पेनाल्टी के साथ आपका 9000 रुपये का रिफंड बनता है, लेकिन आईटीआर-यू की शर्तें ही ऐसी कि आप रिफंड के केस में आईटीआर-यू नहीं फाइल कर सकते। इसका सीधा मतलब है कि आपका 10000 रुपये डूब गया

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