लंदन/पेरिस : ईरान द्वारा सैकड़ों ड्रोन, बैलिस्टिक व क्रूज मिसाइलों के हमलों को इस्राइली रक्षा प्रणाली द्वारा रोकने के बाद पश्चिम एशिया में तनाव गहरा गया है। इस्राइल के जवाबी कार्रवाई की चेतावनी पर वैश्विक नेताओं ने रोकने को दबाव बनाया है। उधर, भारत (India) भी हालात पर चौकन्ना होकर नजरें बनाए हुए है। इस संघर्ष से कारोबार पर होने वाले असर को देखते हुए वह जल्द नीतिगत फैसलों पर विचार करेगा।
अमेरिका के बाद ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी ने क्षेत्र में बड़ा युद्ध भड़कने की आशंका जाहिर की है। ईरान के साथ भी राजनयिक चैनल खोले जा रहे हैं। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड कैमरन ने कहा, हम जवाबी हमले का समर्थन नहीं करते, जबकि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस्राइल को कहा, वह तनाव बढ़ाकर प्रतिक्रिया न दे। जबकि जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन से कहा वह मध्य-पूर्व में भड़कता तनाव रोके। इस बीच, भारतीय व्यापार सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, भारत सरकार फिलहाल संघर्ष को समझने का प्रयास कर रही है और नीतिगत दखल तभी होगा जब व्यापारियों को आने वाली समस्याओं को समझ लेंगे।
जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन से फोन पर कहा कि तेहरान को मध्य-पूर्व में तनाव और नहीं बढ़ाना चाहिए। उन्होंने सोमवार को पेरिस में कहा, ईरान अलग-थलग पड़ गया है। मजबूत हवाई रक्षा और अमेरिका, ब्रिटेन व अरब देशों के दखल के चलते इस्राइल रक्षात्मक तरीके से जीता है।
इस्राइल पर आतंकी हमला करने वाले हमास ने एक बार फिर मध्यस्थों को युद्धविराम समझौता प्रस्ताव रखा है। इसके तहत इस्राइल से 7 अक्तूबर को बंधक बनाए 129 लोगों की रिहाई से पूर्व 6 हफ्ते का युद्धविराम करने को कहा गया है। यह प्रस्ताव अमेरिकी मध्यस्थता वाले समझौते को खारिज करने के बाद रखा गया। उसने इस्राइली सेना को भी गाजा से पीछे हटने को कहा है।
दीर अल-बलाह। इस्राइली सेना ने सोमवार को गाजा में फलस्तीनियों को चेताया कि वे उत्तरी गाजा की तरफ न लौटें। उसने कहा, उत्तरी गाजा एक खतरनाक युद्धक्षेत्र है। उत्तरी गाजा में समुद्र किनारे की सड़क पर बड़ी संख्या में लोग जमा हुए देखे गए हैं। लेकिन वे आगे न बढ़ें।