आतंकवाद से बड़ा खतरा है आतंक का वित्तपोषण: गृह मंत्री अमित शाह

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवाद के वित्त पोषण को आतंकवाद से बड़ा खतरा बताते हुए शुक्रवार को कहा कि इसे किसी धर्म, राष्ट्रीयता या समूह से नहीं जोड़ा जा सकता है और ना ही जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय को ‘आतंकवाद को कोई धन नहीं’ (नो मनी फॉर टेरर) के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आतंक के वित्तपोषण के “तरीकों, माध्यम और प्रक्रियाओं” (मोड-मीडियम-मेथड) को समझकर, उन पर कड़ा प्रहार करने में ‘वन माइंड, वन एप्रोच’ के सिद्धांत को अपनाना होगा।

राष्ट्रीय राजधानी स्थित होटल ताज पैलेस में, आतंकियों को धन की आपूर्ति पर रोक लगाने संबंधी विषय पर आयोजित तीसरे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में शाह ने यह बात कही। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सम्मेलन का आयोजन किया था। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों में भारत में आतंकवादी घटनाओं में अत्यधिक कमी आई है और इसके परिणामस्वरूप आतंकवाद के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान में भी भारी कमी आई है।

इस दौरान शाह ने कहा कि आतंकवादी को संरक्षण देना, आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है और यह सभी देशों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि ऐसे तत्व तथा ऐसे देश अपने इरादों में कभी सफल न हो सकें। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादी हिंसा करने, युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने और वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए लगातार नए तरीके खोज रहे हैं, वे साइबर अपराध के उपकरणों का इस्तेमाल कर और अपनी पहचान छिपाकर कट्टरपंथ की सामग्री फैला रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी जैसी वर्चुअल मुद्रा का उपयोग भी बढ़ रहा है और साइबर अपराध के उपकरणों के माध्यम से होने वाली गतिविधियों के तौर-तरीकों को भी समझना होगा तथा उसके उपाय ढूंढ़ने होंगे।

शाह ने कहा, ‘‘निस्संदेह, आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है। लेकिन मेरा मानना है कि आतंकवाद का वित्तपोषण आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इस तरह के वित्तपोषण से आतंकवाद के ‘साधन और तरीके’ पोषित होते हैं। इसके अलावा, आतंकवाद का वित्तपोषण दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है।”

उन्होंने कहा, ‘‘हम यह भी मानते हैं कि आतंकवाद का खतरा किसी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी समूह से जुड़ा नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए।” शाह ने कहा कि आतंकवाद का “डायनामाइट से मेटावर्स’ और ‘‘एके-47 से वर्चुअल एसेट्स” तक का परिवर्तन, दुनिया के देशों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय है। उन्होंने सभी देशों से साथ मिलकर इसके खिलाफ साझा रणनीति तैयार करने का आह्वान किया। शाह ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत ने सुरक्षा ढांचे के साथ-साथ कानूनी और वित्तीय प्रणालियों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे निरंतर प्रयासों का परिणाम है कि भारत में आतंकवादी घटनाओं में अत्यधिक कमी हुई है और इसके परिणामस्वरूप आतंकवाद के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान में भी भारी कमी आई है।” पाकिस्तान और चीन पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ देश ऐसे भी हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के लिए सामूहिक प्रयासों को कमजोर और नष्ट करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ देश आतंकवादियों का बचाव करते हैं और उन्हें पनाह भी देते हैं। आतंकवादी को संरक्षण देना, आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि ऐसे तत्व और ऐसे देश, अपने इरादों में कभी सफल न हो सकें।”

शाह ने आतंकवादियों के पनाहगाहों या उनके संसाधनों की अनदेखी नहीं करने के लिए सभी देशों को आगाह किया और कहा कि ऐसे तत्त्वों को सभी को उजागर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि यह सम्मेलन, सहभागी देश और संगठन, इस क्षेत्र की आतंकवादी चुनौतियों के बारे में चयनित या आत्मसंतुष्टि वाला दृष्टिकोण न रखे। शाह ने कहा कि आज आतंकवादी या आतंकवादी समूह आधुनिक हथियार, सूचना प्रौद्योगिकी और साइबर तथा वित्तीय दुनिया को अच्छी तरह से समझते हैं और उसका उपयोग भी करते हैं।

अफगानिस्तान में हुए सत्ता परिवर्तन का उल्लेख करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 21 अगस्त 2021 के बाद दक्षिण एशिया में स्थिति बदल गई है और अल कायदा व आईएसआईएस का बढ़ता प्रभाव क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभर कर सामने आया है। उन्होंने कहा, ‘‘इन नए समीकरणों ने आतंकी वित्त पोषण की समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है। तीन दशक पूर्व ऐसे ही एक सत्ता परिवर्तन के गंभीर परिणाम पूरी दुनिया को सहने पड़े और अमेरिका के ट्विन टावर (9/11) जैसे भयंकर हमले को हम सभी ने देखा है।”

उन्होंने कहा कि इस पृष्ठभूमि में पिछले साल दक्षिण एशिया क्षेत्र में हुआ परिवर्तन सभी के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अल कायदा के साथ-साथ दक्षिण एशिया में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन बेखौफ होकर आज भी आतंक फ़ैलाने की फ़िराक में हैं। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों और प्रकारों की निंदा करता है और उसका स्पष्ट मानना है कि निर्दोष लोगों की जान लेने जैसे कृत्य को उचित ठहराने का कोई भी कारण स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बुराई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।”

शाह ने कहा कि भारत कई दशकों से सीमा-पार से प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है और भारतीय सुरक्षा बलों और आम नागरिकों को गंभीर आतंकवादी हिंसा की घटनाओं से जूझना पड़ा है। उन्होने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक सामूहिक रुख है कि आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की जानी चाहिए। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत का मानना है कि आतंकवाद से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका अंतरराष्ट्रीय सहयोग और राष्ट्रों के बीच रियल-टाइम तथा पारदर्शी सहयोग ही है। शाह ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मादक पदार्थों के अवैध व्यापार के उभरते चलन और नार्को-आतंकवाद जैसी चुनौतियों से आतंकवाद के वित्तपोषण को एक नया जरिया मिला है।

उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए सभी राष्ट्रों के बीच इस विषय पर घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र जैसी बहुपक्षीय संस्थाएं और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफएटीएफ) जैसे आम सहमति वाले मंचों की मौजूदगी आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने में सबसे अधिक प्रभावी हैं।” उन्होंने कहा कि एफएटीएफ धन शोधन और आतंकवादियों के वित्तपोषण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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