नई दिल्ली : भारत और यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन के चार देशों के साथ एक अहम समझौता हुआ है. इस समझौते के तहत भारत और ईएफटीए के चार देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा मिलेगा. इस एग्रीमेंट को मोदी सरकार की बड़ी जीत बताया जा रहा है. लेकिन भारत की कूटनीतिक जीत का ये कोई पहला उदाहरण नहीं है, इससे पहले एक अमेरिकी रिपोर्ट में सामने आया था कि 2022 के अंत में रूस-यूक्रेन पर परमाणु हमले की योजना बना रहा था. लेकिन इस हमले को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुछ देशों के नेताओं ने मुख्य भूमिका निभाई थी. ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि बीते कुछ सालों में भारत की डिप्लोमेसी का लोहा पूरी दुनिया मान रही है.
इस ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर स्विट्जरलैंड ने भारत को टफ निगोशिएटर बताया है. ईएफटीए के इन चार सदस्य देशों में स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टाइन शामिल है. स्विट्जरलैंड की आर्थिक मामलों की सचिव हेलेना बुडलिगर आर्टिडा ने बताया कि इस समझौते को लेकर हुई बातचीत एक मैराथन थी, ना कि कोई छोटी-मोटी दौड़. मुझे लगता है कि हमने पूरी शिद्दत के साथ इस समझौते को लेकर बातचीत की है. हम जानते थे कि अगर यह डील संतुलित और निष्पक्ष रहती है तो इससे दोनों पक्षों को फायदा होगा.
इस समझौते के तहत स्विट्जरलैंड अगले 15 सालों में भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करेगा. इसके तहत भारत में 10 लाख रोजगारों का सृजन करने का उद्देश्य है. हेलेना बताती हैं कि हमारे सामान (Goods) को भारत में एंट्री मिल रही है. लेकिन हम अगले 15 सालों में भारत में 10 अरब डॉलर का निवेश करेंगे और दस लाख रोजगारों का सृजन करेंगे.
उन्होंने कहा कि भारत के साथ इसे लेकर बातचीत काफी मुश्किल थी. हमसे कहा गया था कि आपको भारत के बाजारों में इतनी आसानी से एक्सेस नहीं मिलेगा. पहले टैरिफ रेट तय किए जाए, तब हमें भारत के बाजारों में एंट्री मिलेगी. इसके लिए एमओयू साइन करने की जरूरत थी. हम इस पूरी प्रक्रिया को समझते हैं और हमने इसका पालन भी किया.
भारत-ईएफटीए समझौते के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि इन नई शर्तों से भारत में दवाओं की लागत नहीं बढ़े. हेलेना ने स्पष्ट किया कि बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) को लेकर भी बातचीत हुई, जो डब्ल्यूटीओ के कानूनों के अनुरूप है.
हेलेना ने कहा कि यह समझौता उतना आसान नहीं था. ऐसे कई क्षेत्रीय विवाद थे, जिन पर सहमति बन पाना मुश्किल था, जिनमें कश्मीर भी था. हेलेना ने कहा कि स्विट्जरलैंड एक निष्पक्ष देश है. हम अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करते हैं और किसी तरह के विवाद की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र का रुख करते हैं.
इस समझौते के तहत EFTA देशों में भारत के औद्योगिक सामान की शुल्क रहित (Duty Free) एंट्री सुनिश्चित की गई है. इसके एवज में भारत में फार्मास्युटिकल्स, मेडिकल डिवाइसेज और प्रोसेस्ड फूड पर लगने वाले शुल्क से रियायत मिलेगी. इस एग्रीमेंट के दायरे में सर्विस सेक्टर भी है, जहां भारत ने 105 सब-सेक्टर खोले हैं और आईटी, बिजनेस सर्विसेज, एजुकेशन और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में सहयोग का वादा किया है.
कहा जा रहा है कि इस समझौते के तहत 14 चीजों को लेकर सहमति बनी है. जिसमें सेवाओं में व्यापार, निवेश में बढ़ावा और सहयोग देना, सरकारी खरीद, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR), व्यापार में तकनीकी बाधाएं और व्यापार सुविधा शामिल हैं.
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत दो या उससे अधिक देशों के बीच व्यापार नियमों को ढीला कर दिया जाता है. ये देश आपस में आयात-निर्यात होने वाली चीजों में कस्टम ड्यूटी को या तो कम कर देते हैं या तो हटा देते हैं. साथ ही आयात-निर्यात के नियमों में भी सख्ती नहीं बरती जाती है. यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के सदस्य देशों में से स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा और नार्वे दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.