वक्त के साथ घटा रामलीलाओं का आकर्षण

0 195

नई दिल्ली: करीब 20 साल पहले तक रामलीला के प्रति लोगों में इतना आकर्षण था कि इनमें बड़ी संख्या में दर्शक जुटते थे और भगवान राम और लक्ष्मण बने पात्रों को लोग कंधे पर उठा लेते थे। फूल-माला और आरती लेकर रामलीला देखने आते थे। बैठने के लिए बोरे भी साथ लाते थे, मगर अब यह सब देखने को नहीं मिलता। अब रामलीलाओं में दर्शकों का टोटा रहता है। केवल विजयदशमी पर ही भीड़भाड़ दिखायी देती है।

सूबे के तमाम जनपदों में होने वाली रामलीला कमेटियों के मुख्य व्यवस्थापकों का कहना है कि करीब बीस वर्ष पूर्व रामलीला को देखने का लोगों में जो उत्साह था वह आज देखने को नहीं मिलता। कलाकारों की सोच में भी परिवर्तन दिख रहा है। वह भी इसे प्रोफेशन के रूप में लेते हैं।

लखनऊ की बात करें तो यहां होने वाली तमाम रामलीला कमेटियों के मुख्य व्यवस्थापकों का कहना है कि 20 साल पहले तक गांवों में जब कलाकार रामलीला का मंचन करने पहुंचते थे तो लोग स्टेशन से कंधे पर उठाकर मंच तक ले जाते थे। उन्हें माला पहनाते थे और आरती उतारते थे। सैकड़ों की संख्या में दर्शक जुटते थे और जयकारे लगाते रहते थे, लेकिन अब यह सब कुछ दिखायी नहीं देता।

कुछ ऐसा ही कानपुर में रामलीला कमेटी शास्त्रीनगर के मुख्य व्यवस्थापक महेंद्र कुमार बाजपेयी भी बताते हैं। अध्यक्ष बाबू त्रिपाठी, महामंत्री गुलाब वर्मा और स्वागताध्यक्ष जमशेद आलम अंसारी बताते हैं कि पहले तखत पर पेट्रोमेक्स की रोशनी में रामलीला होती थी। दर्शक दीर्घा में जगह पाने के लिए लोग अपना खाना तक लेकर आते थे, मगर अब वो जुनून नजर नहीं आता। कलाकार भी व्यावसायिक हो गए हैं। पहले कलाकार पैसे मांगते नहीं थे। जितने दो ले लेते थे।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.