नई दिल्ली : अयोध्या में बन रही मस्जिद ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्ला’ को लेकर एक नई जानकारी सामने आई है कि नई मस्जिद के निर्माण की नींव मक्का के इमाम रखेंगे. अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जगह एक अलग स्थान पर प्रस्तावित मस्जिद मोहम्मद बिन अब्दुल्ला की आधारशिला इमाम-ए-हरम या मक्का के काबा में पवित्र मस्जिद के परिसर में नमाज पढ़ाने वाले इमाम द्वारा रखी जाएगी. बता दें कि मस्जिद का निर्माण अयोध्या से 25 किमी दूर धन्नीपुर में उस भूखंड पर किया जा रहा है, जो उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार मुस्लिम पक्ष को दिया था।
एक खबर के मुताबिक, मुंबई स्थित भाजपा नेता और मस्जिद मुहम्मद बिन अब्दुल्ला विकास समिति के अध्यक्ष हाजी अराफात शेख ने कहा कि अयोध्या में नई मस्जिद (जो भारत में सबसे बड़ी होगी) में दुनिया की सबसे बड़ी कुरान भी होगी. यह 21 फीट ऊंची और 36 फीट चौड़ी होगी. बता दें कि पिछले दिनों देश की सभी मस्जिदों के संगठन ऑल इंडिया राबता-ए-मस्जिद (एआईआरएम) ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के धन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद का नाम पैगंबर के नाम पर ‘मुहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद’ रखने का फैसला किया था।
धन्नीपुर मस्जिद स्थल सदियों पुरानी बाबरी मस्जिद के मूल स्थान से लगभग 22 किमी दूर है. बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था, अब इस स्थान पर भव्य भगवान राम मंदिर का निर्माण पूरा होने वाला है. हाजी अरफात शेख ने कहा कि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आवंटित जगह पर बनने वाली नई मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद होने का वादा करती है. हाजी अराफात शेख के मुताबिक, इस मस्जिद में 5,000 पुरुषों और 4,000 महिलाओं समेत 9,000 श्रद्धालु एक साथ नमाज अदा कर सकेंगे. पूरे मस्जिद परिसर में हमारे संसाधनों के माध्यम से अतिरिक्त भूमि की खरीद के साथ, चिकित्सा, शैक्षिक और सामाजिक सुविधाएं भी होंगी।
शेख ने कहा कि मस्जिद के अलावा परिसर में एक कैंसर अस्पताल, स्कूल और कॉलेज, एक संग्रहालय और एक पुस्तकालय और एक पूरी तरह से शाकाहारी रसोईघर भी होगा, जहां आगंतुकों को मुफ्त भोजन दिया जाएगा. उन्होंने कहा, एक प्रमुख आकर्षण वज़ू खाना या स्नान स्थान के पास विशाल एक्वारियम होगा, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग खंड होंगे. शेख ने दावा किया कि इसकी सुंदरता ताज महल को मात कर देगी. उन्होंने कहा कि जब शाम ढलेगी, शाम की नमाज के साथ मस्जिद में फव्वारे जीवंत हो उठेंगे. यह ताज महल से भी अधिक सुंदर होगा और सभी धर्मों के लोग शांति और सद्भाव के लिए इस स्मारक को देखने आएंगे. हालांकि, वे सभी यहां प्रार्थना नहीं कर सकेंगे।