नई दिल्ली : दुनिया में जब-जब किसी तानाशाह की बात होती है तो केवल एक ऐसे क्रूर व्यक्ति की बात होती है जिससे जनता त्रस्त हो गई हो. लेकिन हर तानाशाह ऐसा नहीं होता. कई लोगों के लिए अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति एक राष्ट्रीय नायक हैं जिन्होंने देश में हिंसा फैलाने वालों का डटकर मुकाबला किया है. और शायद यही एक वजह भी है कि उनकी जनता ने उन्हें चुनावी इतिहास की सबसे बड़ी जीत दिलाई है.
अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले ने दुनिया के चुनावी इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है. 42 साल के बुकेले दूसरी बार अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति बने हैं और वह भी 85% वोट पाकर. तीन दशकों से क्राइम से जूझ रहे मध्य अमेरिकी देश अल साल्वाडोर में बुकेले की सरकार ने कई ऐसे काम किए जिससे वह लोगों के चहेते बन गए.
एक दौर था जब अल साल्वाडोर में क्राइम का रेट बहुत ज्यादा था. यह देश गैंगस्टरों और माफिया से तंग था. माना जाता है कि तीन दशकों में लगभग 120,000 नागरिकों की जान ले ली. इस बात में कोई शक नहीं के क्यों यहां दुनिया की सबसे खुंखार जेल है. लेकिन साल 2019 में एक बहुत बड़ा बदलाव आया जब साल 2019 में बुकेले ने सत्ता संभाली और गैंगस्टरों और माफियाओं पर शिकंजा कसा. हालांकि, कई लोगों का यह भी मानना है कि बुकेले ने बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का हनन किया है और सत्ता को अपने हाथों में रखने के लिए खेल के नियमों को बदल दिया है. प्रेसिडेंट नायब बुकेले अपने आप को सबसे कूल डिक्टेटर के तौर पर प्रदर्शित करते हैं.
बुकेले ने साल 2019 में अल साल्वाडोर की सत्ता संभाली थी. इससे पहले बुकेले 2012 से 2015 तक नुएवो कुस्काटलान के और 2015 से 2018 तक देश की राजधानी सैन साल्वाडोर के मेयर रहे थे. साल 2018 में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी बनाई और 2019 में आम चुनाव जीता. बुकेले के कार्यकाल में अब तक अल साल्वाडोर में हत्या की दर ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर आ गई है, उनके कार्यकाल के पहले साल के दौरान 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है. बुकेले की सरकार ने राष्ट्रव्यापी कार्रवाई में कथित गिरोह से जुड़े लगभग 75,000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया. बुकेले ने क्राइम पर कंट्रोल पाने के लिए प्रिजन लॉकडाउन जैसे सख्त कदम उठाए थे, शायदस यही वजह है कि बुकेले को जनता ने इतनी बड़ी मात्रा में समर्थन दिया है.