गाजियाबाद : देश की पहली रैपिड रेल दुहाई डिपो स्टेशन से साहिबाबाद तक पहली बार 17 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर दौड़ी। रैपिड रेल को अभी तक गाजियाबाद स्टेशन से दुहाई डिपो के बीच नौ किलोमीटर लंबे ट्रैक पर ही चलाया जा रहा था। इससे पहले 25 किलोमीटर की रफ्तार से परीक्षण किया गया था। इसे 140 से 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार पर हाई स्पीड में चलाकर देखा गया। अब इसे 180 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से परीक्षण किए जाने की संभावना है।
कॉरिडोर बनकर तैयार प्राथमिक खंड पर सिग्नलिंग का काम पूरा होते ही हाई स्पीड ट्रायल शुरू हो जाएगा। रैपिड रेल का निर्माण कार्य दिल्ली से मेरठ तक तेजी से चल रहा है। हालांकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) का पूरा फोकस प्राथमिक खंड साहिबाबाद से दुहाई डिपो स्टेशन पर ज्यादा है। इस खंड पर रैपिड रेल का परिचालन मार्च में शुरू होना है। इसकी तैयारी होने लगी है। कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया।
पांच स्टेशन का काम अंतिम चरण में चल रहा है। ओवरहेड इक्यूमेंट (ओएचई) इंस्टालेशन का काम पूरा हो गया है। केवल सिग्नलिंग का काम रह गया है। मंगलवार को ट्रेन की गति 140 किलोमीटर प्रतिघंटा रही। वहीं बुधवार दोपहर में ट्रेन को 160 की रफ्तार पर चलाया। ट्रैक पर जांच के लिए ट्रेन का आना-जाना शुरू हो गया है। इस दौरान कोई खामी नहीं आने से अधिकारियों ने राहत की सांस ली।
रैपिड रेल का ट्रैक 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति वाला है। हालांकि परिचालन गति 160 किलोमीटर की रखी जाएगी। रैपिड रेल हर 5-10 मिनट में उपलब्ध होंगी। दिल्ली से मेरठ के बीच की दूरी 55 मिनट में पूरी हो जाएगी। रैपिड रेल चलने का लाभ रोजाना आठ लाख दैनिक यात्री उठाएंगे। एनसीआरटीसी ने रैपिड रेल के स्टेशन का मेट्रो स्टेशन, रेलवे स्टेशन और बस डिपो के साथ जोड़ा है।
रैपिड रेल कोच में मरीजों के लिए व्हीलचेयर और स्ट्रेचर रखने के इंतजाम किए है। स्टेशन डिजाइन में इसका ख्याल रखा है। आपात स्थिति में मरीज को स्टेशन में प्रवेश और ट्रेन में सवार होने एवं बाहर निकलने में किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। गंभीर मरीज रैपिड से आ और जा सकेंगे। अलग से ग्रीन कॉरिडोर बनाने की जरूरत नहीं होगी। मरीजों से कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं वसूला जाएगा।