मोटिवेजर्स क्लब, युवाओं का वो ग्रुप जो पिछले कई सालों से बुजुर्गों के साथ हर माह नई उमंग और नए जोश के साथ कभी होली दिवाली कभी साहित्य तो कभी जश्न ए आज़ादी जैसे तमाम अलग अलग थीम पर कार्यक्रम आयोजित कर चुका है। वहीं, इस रविवार मोटिवेजर्स क्लब ने गोमती नगर स्थित एक रेस्टोरेंट में सावन थीम पर खास कार्यक्रम का आयोजन किया। क्योंकि थीम सावन थी तो ऐसे में सभी मेंबर्स ग्रीन कलर की ड्रेस पहन कर आए थे। कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों ने कई तरह की फन एक्टिविटीज, सावन के गीत संगीत, मेंहदी कॉम्प्टीशन और चाय–नाश्ते का लुफ्त उठाया।
सावन का महीना, बारिश की बूंदे हर बार अपने साथ ढेर सारी उमंगे ले कर आता है। वैसे तो बारिश के दिनों में सभी को अपनों के साथ बैठकर बातचीत और चाय का लुफ्त उठाना बेहद पसंद होता है, वहीं मोटिवेजर्स क्लब के युवाओं ने शहर के बुजुर्गों को एकत्रित कर उनके साथ सावन को मनभावन बनाने का प्रयास किया।
कार्यक्रम में चीफ गेस्ट प्रोफेसर शोभा मिश्रा ने इस अनूठे प्रयास को सराहा साथ ही युवा टीम का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम बुजुर्गों को काफी बेहतर फील कराते हैं और हम सभी हम उम्र के लोग अपने मन की बातें कहते हैं साथ ही परफॉर्म और एंजॉय भी करते हैं। और आने वाले समय में डिप्रेशन और आइसोलेशन से लड़ने के लिए सभी को मिलना जुलना और अपने दिल की बातें दूसरो से शेयर करना बहुत जरूरी है।
राजेश सिंह दयाल फाउंडेशन के संस्थापक राजेश सिंह ने इस मौके पर मोटिवेजर्स क्लब के सभी वॉलंटियर को इस अनूठे प्रयास के लिए बधाई दी और साथ ही इस नोबल इनिशिएटिव से जुड़े रहने तथा वरिष्ठजनों के लिए आने वाले समय में फ्री मेडिकल हेल्थ कैंप भी आयोजित करने की बात कही।
रिमझिम घिरे सावन……
बात सावन की हो और गीत संगीत न हो तो ऐसे में सावन का मजा अधूरा सा रहता है। क्लब की महिलाओं ने सावन के गानों का झूमते हुए लुफ्त उठाया। वहां मौजूद अनिल टंडन ने रिमझिम घिरे सावन, सुरेश सिंह ने अपनी ग़ज़ल, और सुनीता वीर ने अपने गीतों से वहां बैठे सभी लोगों का मन मोह लिया। थीम सावन थी तो ऐसे में क्लब की मेंबर मीनू टंडन और पीयूष टंडन ने भगवान शिव पर भजन सुनाया……..
मेंहदी कॉम्प्टीशन
सावन के महीने में अक्सर महिलाऐं हरे रंग की चूड़ियां और मेंहदी लगाए हुए नज़र आती हैं। ऐसे में महिलाओं के बीच मेंहदी कॉम्प्टीशन कराया गया, जिसमें सभी ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और खूबसूरत डिजाइन बनाने का प्रयास किया।
पासिंग द पार्सल
खेल खेल में सभी अपनी उम्र के बंधन को पीछे छोड़ उस पल को जीते नज़र आए। दरअसल जब पासिंग द पार्सल गेम शुरू हुआ तो सभी मानो स्कूल के बच्चों की तरह जीतने की होड़ में जुट गए। एक तरफ बैकग्राउंड में म्यूजिक बज रही होती और सभी लोग एक दूसरे को पार्सल देते हैं और म्यूजिक बंद होने पर जिसके पास पार्सल रुका उसे डेयर दिया गया। डेयर में किसी ने सावन से जुड़ा कोई गाना गाया तो किसी ने मूवी का डायलॉग बोला तो किसी ने शायरी सुनाई। यह सिलसिला यूं ही चलता रहा और सभी जल्दी से जल्दी पार्सल को दूसरे के पास फेक कर खुद को जिताने की कोशिश करते रहे।
सावन के गीत में झूमे बुजुर्ग
सावन आया झूम के, बन्ना रे बागां में झूला डाल्या जैसे गानों पर क्लब के बुजुर्गों ने एक साथ मिलकर डांस किया और जमकर मस्ती की।
क्लब के फाउंडर गौरव छाबड़ा ने कहा कि हमारे इस क्लब का उद्देश्य यह है कि हम समाज के बुर्जुगों को अकेलेपन और डिप्रेशन से बचा सके साथ ही उन्हें एक प्लेटफॉर्म मिले जहां वो अपने हुनर को अपने उम्र के लोगों के सामने पेश कर सकें। सभी बुजुर्ग और युवा एक साथ मिलकर एक छत के नीचे अपने अनुभव को शेयर करें और इस क्लब के जरिए समाज के बुर्जुगों के जीवन में थोड़ी सी खुशियां बिखेरी जा सकें।