बरसाना से दौड़ेगा उत्तर प्रदेश के विकास का इंजन

बरसाना, मथुरा में प्रदेश के सबसे बड़े बायो गैस प्लांट का किया जा रहा है विकास

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विकास का इंजन तेज रफ्तार से दौड़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश में नई योजनाओं और परियोजनाओं को सतत लागू किया जा रहा है। इसी कड़ी में बरसाना, मथुरा में प्रदेश के सबसे बड़े बायो गैस प्लांट का विकास किया जा रहा है। 600 टन प्रतिदन फीडस्टॉक क्षमता वाले इस प्लांट की शुरुआत के साथ ही उत्तर प्रदेश का बरसाना और आसपास का क्षेत्र विश्व मानचित्र पर जैव ऊर्जा के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक बन जाएगा। साथ ही उत्तर प्रदेश भी जैव ऊर्जा के अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर अग्रणी स्थान हासिल करेगा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश बायो गैस प्लांट की संख्या के आधार पर देश में चौथे स्थान पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रदेश में जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर बल दे रहे हैं। इसी के तहत श्री माताजी गौशाला, बरसाना के सहयोग से इस परियोजना की शुरुआत हुई है।

बेहतर आर्थिक विकास से आएगा बड़ा सुधार
बरसाना, मथुरा में बनाया जा रहा यह बायो गैस प्लांट न सिर्फ बरसाना बल्कि आसपास के क्षेत्र के लिए बड़े आर्थिक विकास की गतिविधि को बढ़ावा देगा। साथ ही यह अपनी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम, आत्मनिर्भर सर्क्युलर अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देगा। यह राज्य के एसडीजी सूचकांक में काफी सुधार करेगा और इसे बनाए रखेगा। उत्तर प्रदेश के किफायती और स्वच्छ ऊर्जा के संबंध में अचीवर्स लीग में पहुंचने से, बेहतर आर्थिक विकास से उद्योग में सुधार होगा, नवाचार और बुनियादी ढांचे में सुधार होगा और भूमि पारिस्थितिकी तंत्र के सुधार में मदद मिलेगी।

वेस्ट टू वेल्थ की संभावना
बायोमास की उपलब्ध क्षमता में यह असंगठित क्षेत्र से संगठित क्षेत्र में बदल सकता है। यह वेस्ट (कूड़े) से सोना पैदा करेगा यानी वेस्ट टू वेल्थ. न्यूनतम अनुमानों के अनुसार इसके जरिए 65 मिलियन टन प्रति वर्ष की बायोमास उपलब्धता (पशु गोबर+फसल अवशेष) की संभावना है जो 2.5 मिलियन टन प्रति वर्ष की बायोसीबीजी और 20 मिलियन टन प्रति वर्ष ठोस और तरल खाद उत्पन्न करने में मदद कर सकती है। सीबीजी और जैविक खाद के कुल उत्पादन का केवल 5 प्रतिशत होने से, राजकोष प्रति वर्ष 1000 से 1200 करोड़ रुपए की सीमा में कोष पैदा कर सकता है।

मिलेंगे 5 लाख रोजगार के अवसर
एमओपीएनजी ने तेल और गैस विपणन कंपनियों की मदद से 5000 बायो गैस प्लांट स्थापित करने का लक्ष्य तय किया है। वहीं, सरकार ने देश भर में कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट स्थापित करने के लिए अब तक 3400 से अधिक आशय पत्र (एलओआईएस) जारी किए हैं, जिनमें से अधिकांश उत्तर प्रदेश में हैं। उत्तर प्रदेश में लगभग 500 सीबीजी प्लांट स्थापित करने की क्षमता है, जो लगभग 50 हजार करोड़ रुपए का पूंजी निवेश भी लाएगा और लगभग 5 लाख व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करेगा।

सामाजिक कल्याण में भी सहयोग
इस संयंत्र के जरिए श्री माताजी गौशाला के माध्यम से सामाजिक कल्याण में भी सहयोग कर रहा है। इसके लिए वह व्यावसायिक कामों और लीज रेंटल से हुई आय को साझा कर रहा है। प्लांट और गौशाला के बीच मजबूत सहयोग, कन्वर्जेंस और सह-निर्माण, इसे राज्य के विकास के कार्यसूची को तेज करने में सक्षम बना रहा है।

गौशाला को जाएगा आय का 10 प्रतिशत हिस्सा
अदाणी टोटल गैस ने श्री माताजी गौशाला के साथ अनोखी लोक कल्याण साझेदारी की है. इसके तहत, गौशाला से किराए पट्टे पर जमीन के साथ-साथ पशुओं के गोबर की बाजार कीमत और गोबर की पूरी मात्रा की खरीद का आश्वासन दिया गया है। साथ ही, गौशाला को आय का 10 प्रतिशत हिस्सा समर्पित करके अनोखा प्रावधान बनाया गया है।

तीन चरणों में 600 टन प्रति दिन का लक्ष्य
प्लांट की विकास योजना के अनुसार तीन चरणों में 600 टन प्रति दिन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रथम चरण में शुरुआत के 11 माह के दौरान 225 टन प्रति दिन का लक्ष्य निर्धारित है। इसमें 10 टन प्रति दिन सीबीजी, 92 टन प्रतिदिन जैविक खाद और 75 टन प्रतिदिन राइस स्ट्रॉ फीड स्टॉक का लक्ष्य है। वहीं, दूसरे चरण में 10 महीने के अंतराल में 325 टन प्रति दिन लक्ष्य हासिल किया जाएगा। इसमें 24 टन प्रतिदिन सीबीजी, 151 टन प्रतिदिन जैविक खाद और 150 टन प्रतिदिन राइस स्ट्रा एवं 150 टन प्रतिदिन काऊ डंग का लक्ष्य है। तृतीय चरण में 600 टन प्रतिदिन की निर्धारित क्षमता को पूर्ण किया जाएगा। इसमें 9 माह का समय रखा गया है। 42 टन प्रतिदिन सीबीजी, 217 टन प्रतिदिन जैविक खाद, 225 टन प्रतिदिन राइस स्ट्रॉ, 150 टन प्रतिदिन काऊ डंग का लक्ष्य है।

बेहतर कनेक्टिविटी की योजना
बायो गैस प्लांट के तहत स्थानीय गांवों की बेहतर कनेक्टिविटी के लिए सड़कों को विकसित करने की योजना है। आसपास के क्षेत्रों से फीडस्टॉक और गाय के गोबर के परिवहन के लिए नजदीकी गांवों को कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी। इससे संयंत्र, स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों के लिए बिना यातायात बाधित किए, आस-पास के क्षेत्रों में उर्वरक और सीबीजी ले जाना सुगम रहेगा।

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