बदायूं: यूपी के बदायूं में एक मुस्लिम लड़की ने घर से भागकर पूरे हिंदू रीति रिवाज से एक शख्स से शादी रचा ली तथा इलमा से सौम्या बन गई। शादी के पश्चात् सौम्या ने गांव के प्रधान से जान को खतरा बताते हुए प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है। बदायूं की रहने वाली इलमा खान मुस्लिम धर्म का त्याग करते हुए बरेली के अगस्त मुनि आश्रम में धर्म परिवर्तन कर सौम्या बन गई तथा अपने दोस्त सोमेश से मंदिर में शादी रचाई।
वही इस शादी को लेकर बरेली के अगस्त मुनी आश्रम के आचार्य पंडित केके शंखधार ने कहा कि दोनों की हिंदू रीति रिवाज से शादी कराई गई है। बदायूं जिले की रहने वाली इलमा सोमेश को वर्षों से जानती है तथा दोनों की मित्रता प्यार में बदल गई थी। मुस्लिम से हिंदू बनने के पश्चात् अगस्त मुनी आश्रम में इलमा ने अपना नाम बदलकर सौम्या रख लिया। तत्पश्चात, मंदिर के पंडित आचार्य के के शंखधार ने उसका शुद्विकरण कराया जिसके बाद उसने हिंदू रीति-रिवाज से शादी की। शादी के पश्चात् युवक सोमेश ने बताया कि आरम्भ से सौम्या के घर पर आना जाना था तभी प्यार हो गया, सौम्या को भी हिंदू धर्म बहुत अच्छा लगता है, उनकी बहन को शादी के पश्चात् सताया जा रहा था इसलिए वो डरती थी। युवक ने कहा कि शादी के पश्चात् हमें जान का खतरा है। इनके पड़ोस में प्रधान है जिससे मेरे घर वालों को भी जान को खतरा है।
वहीं शादी के बाद इलमा से सौम्या बनी लड़की ने कहा, ‘सोमेश हमारे घर बचपन से आते थे, पहले दोस्ती हुई, फिर प्यार हो गया फिर शादी हो गई।’ लड़की ने कहा कि उन्होंने किसी दबाव में धर्म परिवर्तन नहीं किया है, इस्लाम धर्म में तीन तलाक होता है यह सब मुझे पसंद नहीं है। सनातन धर्म में शादी करके मैं अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रही हूं। लड़की ने कहा कि हमें गांव के प्रधान से जान का खतरा है क्योंकि उन्होंने कहा है कि जहां भी मिल गए वहीं दोनों को जान से मार देंगे। हम चाहते हैं कि हमें पुलिस सुरक्षा दी जाए। वहीं इनकी शादी कराने वाले पंडित के के शंखधार ने बोला, ‘डेढ़-दो महीने पहले दोनों अपने घर से निकल गए थे तथा भटक रहे थे, फिर हमारे पास आए। शपथ पत्र देकर और अपने बालिग होने का प्रमाण पत्र दिखाया जिसके पश्चात् मैंने पूछा कि ये शादी और धर्म परिवर्तन किसी दबाव में तो नहीं कर रही या उसे किसी ने डराया धमकाया तो नहीं है। लड़की ने इन सभी बातों को नकार दिया जिसके पश्चात् हमने उनके विचारों को देखते हुए विवाह संस्कार करा दिया।’