नई दिल्ली: सरकार ने गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर लगी रोक हटाने का फैसला किया है. खाद्य मंत्रालय ने शनिवार को नया आदेश जारी करते हुए कहा एथेनॉल के उत्पादन में गन्ने के जूस और B-हैवी गुड़ का इस्तेमाल होता रहेगा. इससे 2023-24 में ग्रीन फ्यूल एथेनॉल के उत्पादन में कोई कमी नहीं आएगी. साथ ही सप्लाई भी बाधित नहीं होगी. इससे पहले सरकार ने गन्ने के जूस के एथेनॉल उत्पादन में इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी.
सरकार ने 7 दिसंबर को एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के जूस और शुगर सीरप के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. सरकार ने कहा था कि यह फैसला घरेलू मार्केट में चीनी की बढ़ती कीमतों और निर्बाध सप्लाई के लिए लिया गया था. ऑयल मार्केटिंग कंपनियां भी हर डिस्टलरी के लिए दोबारा से उत्पादन लक्ष्य जारी करेंगी. इसके बाद कंपनियों को अपने फैसले की जानकारी खाद्य मंत्रालय को भी देनी पड़ेगी. साथ ही शुगर मिल और डिस्टलरी को भी उत्पादन की जानकारी देनी पड़ेगी.
हालांकि, खाद्य मंत्रालय के नए निर्देश के मुताबिक, गन्ने के जूस और भारी गुड़ का इस्तेमाल स्पिरिट और शराब के उत्पादन में नहीं किया जा सकेगा. सभी गुड़ आधारित डिस्टलरी C-हैवी गुड़ का इस्तेमाल एथेनॉल बनाने में करेंगी.
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बताया कि मंत्रियों की बैठक के दौरान शुक्रवार को यह फैसला लिया गया. सरकार ने गन्ने के जूस और B-हैवी गुड़ के इस्तेमाल पर लगी रोक हटाने का फैसला लिया. चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 17 लाख टन शुगर को एथेनॉल इस्तेमाल में प्रयोग किया जाएगा. प्रतिबंध से पहले 6 लाख टन शुगर को एथेनॉल उत्पादन में इस्तेमाल किया जा चुका है. सरकार का अनुमान है कि देश में शुगर का उत्पादन घटकर लगभग 3.3 करोड़ टन रह जाएगा. पिछले सीजन में शुगर प्रोडक्शन 3.73 करोड़ टन रहा था.
चीनी कंपनियों की संगठन इस्मा (ISMA) ने कहा था कि गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर रोक लगने से चीनी मिलों की क्षमता पर निगेटिव असर पड़ेगा. साथ ही इस फैसले के चलते 15,000 करोड़ रुपये का निवेश खतरे में आ गया है. साथ ही इस्मा ने आशंका जताई थी कि अचानक रोक लगाने से गन्ना किसानों को होने वाले भुगतान में देरी हो सकती है. गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर रोक लगाने के बाद चीनी और इथेनॉल से जुड़े शेयरों में भारी गिरावट देखी गई थी.