Maharana Pratap Jayanti 2022:महान योध्दा महाराणा प्रताप अपनी छाती पर उठाते थे 72 कियो का वजन , भारत माता के सपूत की जयंती आज
Maharana Pratap Jayanti 2022:राजस्थान के वीर सपूत, महान योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ दुर्ग का है । लेकिन राजस्थान में राजपूत समाज का एक बड़ा तबका उनका जन्मदिन हिन्दू तिथि के हिसाब से मनाते है । महाराणा प्रताप ने अपनी मां से ही युद्ध कौशल की कला ग्रहण की थी । देश के इतिहास में दर्ज हल्दीघाटी का युद्ध आज भी जब भी पड़ जाता है तब हमारे वीर योध्दा महाराणा याद आते है । तब राजा महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया ये युद्ध बहुत ही विनाशकारी था।
वैसे तो महाराणा प्रताप ने मुगलों से कई लड़ाइयां लड़ीं लेकिन सबसे ऐतिहासिक लड़ाई मानी जाती है हल्दीघाटी का युद्ध जिसमें उनका मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की बड़ी और विशाल सेना थी । 1576 में हुए इस जबरदस्त युद्ध में करीब 20 हजार सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने 80 हजार मुगल सैनिकों के सामने खड़े होके उनका सामना किया था । यह मध्यकालीन भारतीय इतिहास का सबसे प्रसिध्द ,युध्द माना जाता है । इस युद्ध में प्रताप का प्रिय घोड़ा चेतक बहौत तेज जख्मी हो गया था। इस युद्ध के बाद मेवाड़, चित्तौड़, गोगुंडा, कुंभलगढ़ और उदयपुर पर मुगलों का ने कब्जा कर लिया । अधिकांश राजपूत राजा मुगलों के अधीन हो गए लेकिन महाराणा ने कभी भी अपना स्वाभिमान जारी रखा । उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक कड़ा सधर्ष किया । 1596 में शिकार खेलते समय उन्हें चोट लगी जिससे वह कभी ठिक नही हो पाए । 19 जनवरी 1597 को सिर्फ 57 वर्ष आयु में चावड़ में उन्होने आखिरी सांस ली ।
महाराणा प्रताप के भाले का वजन कुल 81 किलो था, साथ ही उनके छाती का कवच 72 किलो का बताया जाता है । भाला, कवच, ढाल और दो तलवारों के साथ उनके अस्त्र और शस्त्रों का वजन 208 किलो था। हल्दीघाटी युद्ध के दौरान जब मुगल सेना महाराणा के पीछे पड़ी थी, तब चेतक ने राणा को अपनी पीठ पर बिठाकर, कई फीट लंबे नाले को छलांग लगा कर पार किया था। आज भी हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है।
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रिर्पोट – शिवी अग्रवाल