लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया में सभी संस्कृति और सभ्यताओं के इतिहास से अधिक प्राचीन सनातन संस्कृति है। वृन्दावन स्थित पर्यटक सुविधा केन्द्र (टीएफसी) में उप्र ब्रजतीर्थ विकास परिषद द्वारा आयोजित श्रीकृष्ण जन्मोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुये श्री योगी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म पांच हजार वर्ष से अधिक पहले हुआ था। ब्रज की रज के कण कण में राधा और कृष्ण विराजमान हैं।
यही कारण है कि यहां पर हजारों श्रद्धालु नंगे पैर भगवान के दर्शन के लिए आते है और परिक्रमा करते है। वे दर्शन करने के साथ यहां कुछ अर्पण भी करना चाहते है। उप्र ब्रजतीर्थ विकास परिषद के गठन एवं इसका दायित्व उपाध्यक्ष शैलजा कान्त मिश्र को सौंपने संबंधी घटना का जिक्र करते हुये योगी ने कहा कि उनसे बाबा देवरहा एवं अन्य पूज्य संतों की पावन भूमि ब्रज में रहकर अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने में सहयोग प्रदान करने के लिए कहा था। शैलजाकांत मिश्र के द्वारा उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के माध्यम से ब्रज की संस्कृति और यहां के धरोहरों का निरंतर संरक्षण एवं विकास किया जा रहा है। उन्होने कहा कि जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर अन्नपूर्णा कार्यक्रम के साथ जुड़ने का उन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
महाराज विजय कौशल के सानिध्य में मंगल परिवार द्वारा अन्नपूर्णा भवन के संचालन का जो दायित्व उठाया गया है वह वास्तव में वंदनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां आने से पूर्व वे जनपद बलिया में थे। आज ही के दिन बलिया के लोगाें ने जेल का गेट तोड़ कर विभिन्न क्रान्तिकारियों को मुक्त करा लिया था और बलिया को स्वतंत्र घोषित कर दिया था। इसके पश्चात अंग्रेजों द्वारा अनेकों अत्याचार किये गये, लेकिन उन्होंने अपने स्वाधीन होने की भावना को और अधिक मजबूत बनाया। योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग को विश्व स्तर पर स्थापित किया है, जिसको देश ही नहीं, विदेशों में भी बहुत मान्यता मिली है।
उन्होने कहा कि यह मथुरा की पावन भूमि है, जहां वैष्णव कुम्भ प्रारम्भ हुआ, तब संतों के आर्शीवाद से कोरोना निष्प्रभावी रहा। संतों के कुम्भ से कदम हटते ही कोेरोना ने अपना असर दिखाना शुरू किया, जिसको केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा पूरी ताकत लगाकर रोका गया तथा कोरोना पर विजय प्राप्त की गई। काशी विश्वनाथ धाम में एक माह में एक करोड़ श्रद्धालुओं ने दर्शन किये तो अयोध्या भी आज त्रेतायुग की याद दिलाता है। मथुरा के गोकुल, बरसाना, नन्दगांव, गोवर्धन, वृन्दावन आदि तीर्थस्थलों का भी निरंतर विकास किया जा रहा है।