नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में वायु प्रदूषण के संबंध में तत्काल कदम उठाने की मांग वाली याचिका पर 10 नवंबर को विचार करने के लिए तैयार हो गया। एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले को रखा और तत्काल सुनवाई की मांग की। वकील ने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि के कारण राजधानी में वायु प्रदूषण गंभीर श्रेणी में है।
इस बीच वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने परिवेशी वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में डीजल से चलने वाले चौपहिया हल्के मोटर वाहनों पर रोक लगा दी है। वैसे, बीएस-6 और अनिवार्य तथा आपात सेवाओं में लगे वाहनों को इस प्रतिबंध से छूट दी गयी है। इलेक्ट्रिक और सीएनजी को छोड़ कर अनिवार्य वस्तुओं की ढुलाई करने वाले अन्य ट्रकों के प्रवेश पर भी रोक लगाई गई है।
उधर, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस बात से सहमत है कि मामले में हस्तक्षेप की आवश्यकता है। पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख को निर्धारित किया। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (एसएएफएआर) के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 418 दर्ज किया गया।
एसएएफएआर के आंकड़ों के अनुसार शाम तक, एयर क्वालिटी इंडेक्स और भी खराब हो गया और बढ़कर 458 हो गया। एसएएफएआर के आंकड़ों के मुताबिक, पीएम 2.5 और पीएम 10 की सांद्रता क्रमश: 458 और 433 थी, दोनों एक ही ‘गंभीर’ श्रेणी में थे। बता दें, शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’ माना जाता है। 51 से 100 तक ‘संतोषजनक’, 101- 200 ‘मध्यम’, 201-300 ‘खराब’, 301-400 ‘बहुत खराब’ और 401-500 ‘गंभीर’ माना जाता है।