धर्मेंद्र और हेमा की जोड़ी ने जीते थे दिल, आज गोल्डन जुबली मना रही ‘पत्थर और पायल’ फिल्‍म

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मुंबई : बॉलीवुड सुपरस्टार धर्मेंद्र ने इस इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं, जिन्हें आज भी फैंस देखना पसंद करते हैं। उनकी क्लासिक फिल्मों में अगर हेमा मालिनी के साथ उनकी जोड़ी बनी हो तो फिर बात ही क्या थी, वो फिल्म तो जबर्दस्त कमाई करती ही थी, लेकिन दर्शकों का दिल भी जीत लेती थी। धर्मेंद्र की उन्हीं फिल्मों में से एक फिल्म थी ‘पत्थर और पायल’, जो 13 अगस्त, 1974 में रिलीज हुई थी। आज यह फिल्म अपनी 50वीं सालगिरह मना रही है।

केपी सिंह द्वारा निर्मित और हरमेश मल्होत्रा के निर्देशन में बनी ‘पत्थर और पायल’ की स्टारकास्ट भी बड़ी दमदार थी। फिल्म में कई बड़े सितारे नजर आए थे, जिनमें धर्मेंद्र और हेमा मालिनी के साथ विनोद खन्ना, अजीत, राजेंद्र खन्ना इफ्तेखार जैसे बड़े सितारे शामिल थे। फिल्म की कहानी भी काफी दिलचस्प है। फिल्म में विनोद खन्ना ने नकारात्मक किरदार निभाया है, जो कहानी में जान डाल देता है। विनोद खन्ना की खलनायकी भी फिल्म में देखने लायक है तो वहीं, दूसरी ओर इस फिल्म में धर्मेंद्र और हेमा की रोमांटिक जोड़ी का मजा भी दर्शकों को मिला।

वहीं बात करें कहानी कि तो धर्मेंद्र ने फिल्म में छोटे ठाकुर रणजीत सिंह की भूमिका निभाई है। अभिनेता अजीत बड़े ठाकुर अजीत सिंह की भूमिका में हैं। वहीं विनोद खन्ना सरजू के किरदार में हैं। हेमा मालिनी ‘आशा सिन्हा’ की भूमिका में हैं। इफ्तेखार ने डीआईजी बी.के. वर्मा का किरदार निभाया है। फिल्म की कहानी उन्हीं पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है। कहानी है दो भाइयों के माता-पिता की, जिन्हें एक ठाकुर द्वारा कोर्ट में झूठा बयान दिए जाने के कारण फांसी पर लटका दिया गया था। अब उनके बच्चे (अजीत और धर्मेंद्र) बदला लेने के लिए डाकू बन जाते हैं।

अजीत सिंह और उनके छोटे भाई रणजीत सिंह को उनके बचपन के बुरे दिन उन्हें डाकुओं का एक गिरोह बनाने के लिए मजबूर करते हैं। अजीत सिंह गिरोह का नेता है और रणजीत उसके साथ डाकू के रूप में है। वहीं सरजू (विनोद खन्ना) उसका दाहिना हाथ है। जब रणजीत आशा सिन्हा (हेमा मालिनी) से मिलता है तो वह उससे प्यार कर बैठता है और अपने भाई और दाहिने हाथ सरजू की नाराजगी के बावजूद, गिरोह से खुद को अलग करने का फैसला करता है। रणजीत फिर से शहर में आकर आशा के साथ एक आम आदमी की जिंदगी जीने लगता है, लेकिन उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है, दोषी ठहराया जाता है और जेल में डाल दिया जाता है।

वहीं दूसरी और सरजू फिर जबरन डाकुओं के अड्डे का नेता बन जाता है और आशा का अपहरण कर लेता है और अजीत को तब तक बंधक बनाकर रखता है, जब तक कि रणजीत समझौता करने के लिए तैयार नहीं हो जाता। फिर रणजीत पुलिस की मदद मांगता है, लेकिन वे उसे केवल शर्त के साथ मदद करने की बात करते हैं। रणजीत बंधकों को छुड़ाने के लिए जेल से भागने के लिए मजबूर हो जाता है और सरजू के साथ हिसाब बराबर करना चाहता है। वहीं बात करें गाने की तो फिल्म में लता मंगेशकर और आशा भोसले के सुरों का जादू चला था।

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