नई दिल्ली: संसद का सत्र चल रहा हो तथा हंगामा न हो, ऐसा तो संभव ही नहीं है। सदन की कार्यवाही प्रतिदिन हंगामे की भेंट चढ़ जाती है। इस मानसून सत्र के आरम्भ से पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि सरकार कई बिल पेश करेगी। सार्थक बहस होगी तथा कोई परिणाम निकलेगा। कांग्रेस ने भी अपने मुद्दों की एक लिस्ट गिनाई थी। सरकार की तरफ से UCC को लेकर चर्चा थी। मगर हकीकत तथा उम्मीदों में जमीन-आसमान का फर्क साफ दिखाई दे रहा है।
वही इस बार का सत्र मणिपुर के मुद्दे के आसपास ही केंद्रित है। विपक्ष निरंतर इस मुद्दे पर बहस को लेकर अड़ा हुआ है तो सत्ता पक्ष भी कह रहा है कि हम बहस को तैयार हैं। बावजूद इसके सदन में कोई सार्थक चर्चा के बिना ही सदन को रद्द कर दिया गया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश का स्पष्ट कहना है कि पहले पीएम मोदी इस मुद्दे को लेकर संसद में बयान दें उसके बाद इसपर चर्चा होगी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, मानसून सत्र के तीसरे दिन भी संसद की कार्यवाही नहीं हो सकी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार INDIA दलों की मणिपुर में 3 मई के पश्चात् की स्थिति पर पीएम के विस्तृत बयान की मांग नहीं मान रही है। INDIA की स्पष्ट मांग है – पहले पीएम सदन में बयान दें, उसके बाद इसपर चर्चा हो। INDIA की सभी पार्टियां केवल मणिपुर ही नहीं वास्तव में पूरे देश के लोगों की भावनाओं को सामने रख रही हैं। कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि पीएम सदन में बयान देने से आखिर क्यों भाग रहे हैं?
तो वहीं इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि गृहमंत्री अमित शाह ने बहुत शालीनता के साथ विपक्ष द्वारा उठाई जा रही चर्चा की मांग को स्वीकार किया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने स्वयं विपक्ष से चर्चा को सुचारू रूप से चलाने के लिए बारंबार अनुरोध किया, मगर जिनका ऐजेंडा केवल राजनीति हो, उन्हें राष्ट्र-नीति की बात कभी समझ नहीं आती है। जो विपक्ष टीवी और ट्विटर पर चर्चा की दुहाई देता रहता है, सदन में वही विपक्ष चर्चा के हर प्रयास नाकाम करने पर उतरा हुआ है। जनता देख रही है कि विपक्ष का असल सरोकार सत्य जानना नहीं, बल्कि राजनीतिक रोटियां सेंकना मात्र है। गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में कहा भी कि हम सदन में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह मणिपुर की स्थिति पर लोकसभा में चर्चा करने के इच्छुक हैं तथा आश्चर्य है कि विपक्ष इसके लिए तैयार क्यों नहीं है। लोकसभा में संक्षेप में बोलते हुए उन्होंने विपक्षी नेताओं से बहस की इजाजत देने का अनुरोध करते हुए कहा कि मणिपुर मुद्दे पर देश के सामने सच्चाई आना आवश्यक है।