नई दिल्ली: देश के कई दिग्गज अरबपति कारोबारियों की सफलता व संघर्ष के किस्से आए दिनों सुनने को मिलते हैं. इसी कड़ी में हम आपको दो ऐसे भाइयों की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने एक छोटी-सी दुकान से अपना कामकाज शुरू किया और आज 55,000 करोड़ से ज्यादा की कंपनी के मालिक हैं. पंजाब के ढींगरा ब्रदर्स की कामयाबी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.
कुलदीप सिंह ढींगरा और गुरबचन सिंह ढींगरा आज भारत की दिग्गज पेंट कंपनी बर्जर पेंट्स के मालिक हैं. 90 के दशक में विजय माल्या के यूबी ग्रुप से देश की सबसे छोटी पेंट निर्माता कंपनी को खरीदा था. अपनी मेहनत के बल पर उन्होंने इस छोटी-सी कंपनी को देश की दूसरी सबसे बड़ी पेंट कंपनी बना दिया. आइये विस्तार से जानते हैं कैसे रहा इनके कामयाबी का सफर
कुलदीप और गुरबचन एक बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखते हैं और इनकी जड़े पंजाब से जुड़ी हैं. इनके दादाजी ने अमृतसर में 1898 में अपनी दुकान शुरू की थी. इन दोनों भाइयों ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और फिर अमृतसर में दुकानदार के रूप में अपने कारोबारी करियर की शुरुआत की.
1970 के दशक तक उनका सालाना टर्नओवर 10 लाख रुपये था. लेकिन कड़ी मेहनत और लगन के चलते जैसे-जैसे उनका व्यवसाय बढ़ता गया, वे 1980 के दशक में सोवियत संघ के सबसे बड़े पेंट निर्यातक बन गए. देश के सफल कारोबारियों की लिस्ट में आने वाले ढींगरा ब्रदर्स की नेटवर्थ 55,000 करोड़ से ज्यादा है. कुलदीप सिंह ढींगरा बर्जर पेंट्स के चेयरमैन हैं जबकि गुरबचन सिंह ढींगरा कंपनी के वाइस चेयरमैन हैं.
कामयाबी की सीढ़ी चढ़ने वाले कुलदीप ढींगरा अपने बिजनेस का तेजी से विस्तार करने लगे. फिर उन्होंने दुकानदार से एक बहुराष्ट्रीय कंपनी का मालिक बनने पर अपनी निगाहें जमाईं. दरअसल उनका लक्ष्य बर्जर पेंट्स का अधिग्रहण करना था, जो उस समय विजय माल्या के यूबी समूह की कंपनी थी.
अपने दोस्त के जरिए उन्होंने विजय माल्या के साथ डील पूरी की और बर्जर पेंट्स को खरीद लिया. आज, बर्जर पेंट्स का कामकाज सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि रूस, पोलैंड, नेपाल और बांग्लादेश सहित कई देशों में हैं. ढींगरा ब्रदर्स भारत के सबसे अमीर परिवारों में से एक हैं.