यूपी-बिहार बॉर्डर पर तेजी से फैल रहा शराब तस्करी का कारोबार, महीने में 15 लाख तक की कमाई, सरकार का भर रहा खजाना
पटना: बिहार में शराबबंदी के बाद भी अवैध तरीके से इसका कारोबारा काफी तेजी से फैल रहा है। बिहार के पड़ोसी राज्य यूपी और झारखंड से शराब की बड़ी खेप लाई जा रही है और अवैध तरीके से राज्य के लोगों को परोसा जा रहा है। इस अवैध कारोबार में भारी संख्या में युवा शामिल हैं, जो उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल से शराब को राज्य के अंदर लाते हैं।
यूपी-बिहार बॉर्डर पर शराब की तस्करी ने बेरोजगारों को कमाई का जरिया दिया। रोजाना 50 पेटी शराब बिहार बॉर्डर तक पहुंचाने की इन्हें जिम्मेदारी दी जाती है और बदले में एक पेटी पर 1 हजार तक कमाई है। इस अवैध कारोबार में शामिल रोजाना 35 से 50 हजार रुपए इनकम हो जाती है, यानी महीने की 10 से 15 लाख रुपए।
सिर्फ एक या दो ही नहीं, यूपी-बिहार बॉर्डर से लगे 7 जिलों के युवा तस्करों की यही कहानी है। वह अब नौकरी नहीं करना चाहते, क्योंकि कॉर्पोरेट नौकरी से भी ज्यादा कमाई होने लगी है। बिहार में शराबबंदी के बाद से कैसे बॉर्डर पर बसे यूपी के गांव की इकोनॉमी बदल रही है। यूपी के बलिया और बिहार बॉर्डर पर स्थित गांवों के स्थिति से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
शराब तस्करी में 10 हजार से ज्यादा युवा शामिल
यूपी से बिहार की लगभग 483 किमी की सीमा लगती है। बॉर्डर पर दोनों तरफ 1200 से ज्यादा गांव हैं। अकेले यूपी के साढ़े पांच सौ गांव हैं। तस्करों और जानकारों के मुताबिक, हर गांव से 5 से लेकर 15 युवा इसमें शामिल हैं। इस तरह सभी गांवों को मिलाकर शराब तस्करी में शामिल युवाओं की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। सिर्फ बलिया पुलिस ने ही जनवरी 2024 से लेकर 15 दिसंबर 2024 तक 1266 शराब तस्कर गिरफ्तार किए। इनमें 30 साल से कम उम्र वालों की संख्या ज्यादा है।
अवैध तस्करी में करोड़ों रुपये की कमाई
यूपी में सरकारी दुकान पर एक पव्वा वाली टेट्रा पैक पेटी (48 पीस) 5760 रुपए की आती है। यूपी के तस्कर यह एक पेटी घाट तक 6760 रुपए में पहुंचाते हैं। इस तरह से एक पेटी पर यूपी का तस्कर एक हजार रुपए कमाता है। इस धंधे में लिप्त लोगों का कहना है कि हर साल बलिया समेत बिहार बॉर्डर वाले 7 जिलों से करीब एक हजार करोड़ से ज्यादा की शराब तस्करी होती है। इनमें से अकेले बलिया से यह अवैध कारोबार 300 करोड़ का है। इस धंधे में शामिल दोनों तरफ के तस्कर हर साल 1 हजार करोड़ रुपए कमा रहे हैं, क्योंकि इस शराब की कीमत बिहार पहुंचकर दो गुना से ज्यादा हो जाती है। कमाई का बड़ा हिस्सा बिहार के तस्करों का भी रहता है।