वॉशिंगटन : अमेरिका में इस साल के आखिर में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश माना वाले अमेरिका में नए राष्ट्रपति के चुनाव पर दुनिया की नजर रहती है। इसकी वजह ये है कि राष्ट्रपति के बदलने के साथ ही अमेरिकी विदेश नीति और वाइट हाउस के फैसले दुनिया के अलग-अलग हिस्सों पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं। राष्ट्रपति चुनाव का बिगुल फूंकते हुए अमेरिका में गुरुवार को डेमोक्रेटिक जो बाइडन और रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली बहस हुई है। इस चुनाव से कैसे दुनियाभर पर फर्क पड़ेगा और क्यों इस पर कई देशों, खासतौर से भारत की भी निगाह हैं। इस पर बीबीसी ने रिपोर्ट की है। इसमें बताया गया है कि भारत और एशिया के एक और अहम देश चीन पर इससे क्या फर्क पड़ने वाला है।
अमेरिका के चुनाव पर जिन मिल्कों की निगाह है, उसमें चीन एक अहम देश है। बीजिंग में बीबीसी के संवाददाता लॉरा बिकर कहते हैं कि चीन-अमेरिका के बाच सबसे बड़ा मतभेद ताइवान को लेकर है। अमेरिकी चुनाव के दोनों ही उम्मीदवार बीजिंग के प्रति सख्त होने की होड़ में हैं और चीन के उदय का मुकाबला करने के लिए उनकी आर्थिक नीतिया एक जैसी हैं लेकिन चीन के क्षेत्रीय प्रभाव से निपटने के लिए उनके दृष्टिकोण बहुत अलग हैं। दोनों के बीच सबसे बड़ा अंतर ताइवान को लेकर है। कई मौकों पर बाइडन ने ताइवान की रक्षा की बात कही है। वहीं ट्रंप ने ताइवान पर अमेरिकी व्यवसायों को कमजोर करने का आरोप लगाया है और उन्होंने एक अमेरिकी बिल का विरोध व्यक्त किया है, जो वहां सहायता भेजता है। इससे कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि क्या जरूरत पड़ने पर वे ताइपे की सहायता के लिए आने को तैयार होंगे। कह सकते हैं कि नए राष्ट्रपति के लिए जब अमेरिका मतदान करेगा तो चीन के पास लड़ाई में किसी के भी पसंदीदा होने की संभावना नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस की नजर में भारत एक अच्छी स्थिति में है। अमेरिका भारत को चीन के भूराजनीतिक प्रतिपक्ष के रूप में देखता है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। इस महीने की शुरुआत में ही भारत में आम चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। भारत पर हालिया सालों में लोकतांत्रिक तौर पर पिछड़ने और आर्थिक तस्वीर को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगा है लेकिन भारत के रणनीतिक महत्व को देखते हुए ये बात अमेरिका के लिए मायने नहीं रखती है। अमेरिकी चुनाव में जो कुछ भी होता है, उससे इस बात पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि भारत वैश्विक मंच पर कैसे काम करेगा। दोनों उम्मीदवार भारत के लिए जाने पहचाने हैं।
अगर बाइडन राष्ट्रपति बने रहते हैं तो यथास्थिति बनी रहेगी, जिसका मतलब है स्वस्थ व्यापारिक संबंध और रेड कार्पेट ट्रीटमेंट। पिछले साल ही नरेंद्र मोदी आधिकारिक राजकीय यात्रा के लिए वाशिंगटन गए थे। यहां प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में व्हाइट हाउस में एक भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया गया था और उन्होंने कांग्रेस के संयुक्त सत्र को भी संबोधित किया था। दूसरी ओर अगर डोनाल्ड ट्रंप फिर से चुने जाते हैं तो भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। वह कई मौकों पर नरेंद्र मोदी की तारीफ कर चुके हैं है। ट्रंप ने राष्ट्रपति रहते हुए 2020 में भारत का दौरा किया था। इस दौरान वह मोदी के गृह राज्य गुजरात गए थे और उनका भव्य स्वागत हुआ था। ये दिखाता है कि भारत के लिए दोनों ही स्थितियों में बहुत नुकसान या फायदा जैसी स्थिति नहीं है।