दुनिया का पहला जल विश्वविद्यालय समझाएगा पानी की अहमियत, 500 गांवों तक जखनी मॉडल को पहुंचाने की तैयारी

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बांदा : बदलते बुंदेलखंड की तस्वीर नए वर्ष पर शिखर पर नजर आएगी। बुंदेली वीरभूमि के हमीरपुर में दुनिया का पहला जल विश्वविद्यालय लोगों को पानी का महत्व समझाने लगेगा। यह वही बुंदेलखंड है, जहां कभी ‘भौरा तेरा पानी गजब करी जाए, गगरी न टूटे चाहे खसम मर जाए’ जैसी कहावत यहां के जल संकट की विभीषिका को बताती थी। अब वहीं से देश-दुनिया को पानी की अहमियत बताई जाएगी। माना जा रहा है कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा, अब उसी विश्व को हमीरपुर में प्रस्तावित जल विश्वविद्यालय पानी संबंधी चुनौतियों के समाधान के साथ विज्ञान, अभियांत्रिकी, एकीकृत कर वैश्विक जल संसाधन प्रबंधन व अनुसंधान से नवाचार को बढ़ावा देगा।

हमीरपुर के रूरी पारा गांव में 70 एकड़ में प्रयोगशालाएं, अनुसंधान केंद्र, कक्षाएं और छात्रों व शोधार्थियों के लिए हास्टल के साथ आचार्यों के लिए आवास बनेंगे। विश्वविद्यालय में जल विज्ञान, जल अभियांत्रिकी व प्रौद्योगिकी, जल प्रबंधन, जल और मानविकी, जल व अंतरिक्ष जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे। स्वीडन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रोफेसर डा. रविकांत पाठक संस्थापक और कुलाधिपति, तो देश जल संचय का जखनी माडल देने वाले पद्मश्री उमाशंकर पांडेय उसके महासचिव होंगे। विश्वविद्यालय का प्रस्ताव हमीरपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी व आयुक्त चित्रकूट धाम मंडल आरपी सिंह जरिए शासन को भेजने के बाद अक्टूबर 2023 में राज्य सरकार से अनुबंध जैसे कार्य प्रगति पर हैं। दिसंबर में प्रशासनिक भवन आदि का कार्य पूरा हो चुका है। नए वर्ष में शिलान्यास व बुनियादी ढांचे का निर्माण हो जाएगा। दिसंबर, 2024 तक सभी कार्य पूरे कर शिक्षण कार्य शुरू

मानक के अनुरूप जमीन की उपलब्धता के साथ ही विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम को भी घोषित कर दिया गया है। हमीरपुर के छेड़ी बसायक मुस्करा निवासी डा. रविकांत पाठक द्वारा प्रस्तावित जल विश्वविद्यालय पानी की पाठशाला अभियान के जरिए गांव-गांव तक जल ज्ञान और विज्ञान को पहुंचाएगा।

भारत उदय कर्मयोगी आश्रम के संस्थापक डॉ. रविकांत पाठक ने बीते वर्ष तत्कालीन हमीरपुर डीएम चंद्रभूषण त्रिपाठी को पत्र सौंपा था। डीएम त्रिपाठी ने 30 अगस्त 2023 को सचिव उच्च शिक्षा अनुभाग-4 को भेजे प्रस्ताव में बताया कि भारत उदय कर्मयोगी आश्रम (ट्रस्ट) व संस्थान (सोसायटी) ने निजी विश्वविद्यालय की स्थापना में भूमि अथवा जमानत राशि व सभी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए कहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और सरकार के नियमों का पालन करते हुए विषय विशेषज्ञ प्राध्यापकों के साथ विद्यार्थियों के लिए छात्रावास, पाठ्यक्रम उपलब्धता, बिजली, पानी समेत लैब व सभी सुविधाओं की व्यवस्था ट्रस्ट करेगा।

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