नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट उस मामले में सुनवाई कर रही है, जिसमें कथित तौर पर एक हादसे में मां और बेटे की मौत हो गई थी. मगर, इस हादसे में जिन्दा बचा बेटा अपना आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों के साथ जज के समक्ष पेश हुआ कि वह जीवित है. दरअसल, दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया था कि युवक के पिता ने ही दोनों मृतकों के मृत्यु प्रमाण पत्र उन्हें सौंपे थे. हालांकि अब बेटे ने दावा किया है कि उसके पिता की मौत वर्ष 1998 में हुई थी, जबकि ये हादसा 2019 में हुआ था.
कोर्ट ने फिलहाल पुलिस को संबंधित दस्तावेज जब्त करने और छानबीन करने का निर्देश दिया है. जांच के लिए संबंधित DCP को आदेश की सूचना देने और रिकॉर्ड में मौजूद सभी कागज़ातों को सील करने का आदेश दिया गया है. अदालत ने पेश किए गए प्रमाण पत्रों की जांच के निर्देश दिए हैं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरज्योत सिंह भल्ला ने यह भी नोट किया कि पीड़ित होने का दावा करने वाले युवक द्वारा प्रस्तुत आधार कार्ड पर नाम, पता, पिता का नाम और पुलिस द्वारा पेश किए गए डाक्यूमेंट्स पर समान है. न्यायाधीश ने इस बात पर भी चिंता प्रकट की है कि अगर धोखाधड़ी की गई है तो पीड़ित द्वारा MACT अधिनियम के तहत मुआवजे का दावा भी दाखिल किया जा सकता है.
अदालत ने निर्देश दिया कि जांच के आदेश की कॉपी संबंधित DCP को इस निर्देश के साथ भेजी जाए कि फ़ौरन जांच की जाए. अगर जरुरी समझा जाए तो मौजूदा मामले में सीधी जांच की जाए. यह भी पता लगाया जाए कि क्या किसी व्यक्ति द्वारा मृत्यु के संबंध में कोई MACT का कोई दावा किया गया है. इसके अलावा पीड़ित नरेंद्र और उनकी मां के सभी ब्योरे भी दिए जाएं.