पेशाब में जलन-खून आना और अन्य ब्लीडिंग डिसऑर्डर हालत बुरी कर देते हैं। गर्मियों में यह समस्या गंभीर हो जाती है। क्योंकि, शरीर के अंदर गर्मी बढ़ने से पेशाब और खून संबंधी समस्याएं बिगड़ने लगती हैं। आयुर्वेद के तंदुलोदक की मदद से इसका उपाय कर सकते हैं। जिसे बनाने के लिए सिर्फ चावल चाहिए।
आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. वरालक्ष्मी बताती हैं कि चावल के पानी को आयुर्वेद में तंदुलोदक कहते हैं। इसमें कई सारे स्वास्थ्य लाभ छिपे होते हैं। यह शरीर को ठंडा रखने का नेचुरल तरीका है। आयुर्वेद का यह नुस्खा ब्लीडिंग डिसऑर्डर और यूरिनरी ट्रैक्ट डिसऑर्डर के इलाज में सहायक होता है।
इस उपाय के लिए हमेशा अच्छी क्वालिटी का लाल या सफेद चावल इस्तेमाल करें।
चावल का पानी बनाने से पहले इन्हें अच्छी तरह पानी से धो लें, ताकि सारी अशुद्धियां निकल जाएं।
पारंपरिक रूप से 1 साल पुराने चावल का इस्तेमाल ज्यादा फायदेमंद होता है।
आयुर्वेद में लाल चावल में ज्यादा पौष्टिक गुण माने जाते हैं।
चावल का पानी बनाने के लिए मिट्टी का बर्तन बेस्ट है।
250 ग्राम लाल चावल लेकर उसे अच्छी तरह धो लें।
बर्तन में चावल डालें और उसके 6 गुना पानी डालें।
अब चावल को साफ हाथ से कुछ मिनट अच्छी तरह हिलाएं।
फिर बर्तन को ढककर 2-6 घंटे भीगने दें।
आखिर में पानी को छानकर इस्तेमाल करें।
इस पानी में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो तुरंत एनर्जी देते हैं। इसके अंदर मौजूद कई विटामिन और मिनरल्स पाचन को भी मजबूत बनाते हैं। इसलिए इसे पीने से अपच, कब्ज और डायरिया का इलाज होता है। यह आयुर्वेदिक उपाय बुखार उतारने के भी काम आता है।
चावल का पानी त्वचा को स्वस्थ और पोषित करता है। यह पानी inositol से भरपूर होता है, जो बालों को मजबूती देकर विकास में मदद करता है। इसके इस्तेमाल से डैंड्रफ खत्म हो जाता है।