नई दिल्ली : महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि गेहूं के भाव में गिरावट आने के आसार हैं. व्यापार जगत और बाजार के सूत्रों के अनुसार, सरकार ने खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं बेचने का जो फैसला लिया है इससे गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों में 4 से 6 रुपये प्रति किलोग्राम तक की गिरावट आ सकती है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, गेहूं और उसके आटे की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने बुधवार को अपने बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं को खुले बाजार में बेचने का ऐलान किया था. इस गेहूं को भारतीय खाद्य निगम (FCI) के जरिए अगले 2 महीनों में विभिन्न माध्यमों से बेचा जाएगा.
यह गेहूं आटा मिल मालिकों को ई-नीलामी के जरिए बेचा जाएगा. वहीं, गेहूं पीसकर आटा बनाने और उसे जनता तक 29.50 रुपये के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में पहुंचाने के लिए एफसीआई गेहूं को पब्लिक सेक्टर यूनिट्स, सहकारिता संघ और अन्य संस्थाओं को 23.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचेगा.
हालांकि, गेहूं के भाव में बड़ी गिरावट की संभावना सीमित लगती है और कीमतें 2023-24 (अप्रैल से मार्च) के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 21.25 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर बनी रहेंगी. बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार 2023-24 के लिए एमएसपी से अधिक बोनस की घोषणा नहीं करता है, तब तक नए विपणन सत्र में अपने भंडार को फिर से भरने के लिए केंद्र के कार्य को मुश्किल बना सकता है.
हालांकि, अन्य लोगों का मानना है कि एक बार जब नई गेहूं की फसल बाजार में आनी शुरू हो जाती है, तो मध्य प्रदेश को छोड़कर सभी उत्पादक राज्यों में कीमतें एमएसपी से नीचे गिर सकती हैं, बशर्ते उत्पादन अच्छा हो.
बता दें कि देश के प्रमुख शहरों में गेहूं की औसत कीमत बुधवार को 33.43 रुपये प्रति किलोग्राम रही थी, जबकि पिछले साल इसी अवधि में भाव 28.24 रुपये प्रति किलोग्राम था. वहीं, इस साल गेहूं के आटा की औसत कीमतें 37.95 रुपये प्रति किलोग्राम दर्ज की गईं और पिछले साल भाव 31.41 रुपये प्रति किलोग्राम था.