‘ऐसा कोई नियम नहीं जो कोर्ट को रोके’, CJI चंद्रचूड का ऐतिहासिक फैसला, युवक को दी एंटीसेपेट्री बेल

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नई दिल्‍ली: आमतौर पर जब कोई व्‍यक्ति किसी मामले में जेल में बंद है तो वो क्‍या उसपर दर्ज किसी अन्‍य मामले में एंटीसेपेट्री बेल के लिए याचिका लगा सकता है. सुनने में यह थोड़ा अजीब लग रहा होगा. जब व्‍यक्ति पहले ही जेल में है तो फिर उसे गिरफ्तारी से छूट क्‍यों चाहिए. एक ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया. इसपर सुनवाई के बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने यह साफ कर दिया कि अगर कोई व्‍यक्ति एक मामले में अरेस्‍ट है तो भी वो किसी दूसरे मामले में भविष्‍य में पुलिस द्वारा की जाने वाली संभावित गिरफ्तारी के खिलाफ एंटीसेपेट्री बेल का हकदार है.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ उस कानूनी प्रश्न पर सुनवाई कर रही थी कि क्या जेल में बंद किसी आरोपी को किसी अन्य आपराधिक मामले में गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए अर्जी देने का अधिकार है? न्यायमूर्ति पारदीवाला ने पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘एक आरोपी तब तक अग्रिम जमानत पाने का हकदार है जब तक उसे उस अपराध के संबंध में गिरफ्तार नहीं किया गया है और यदि उसे उस मामले में भी गिरफ्तार किया गया है तो नियमित जमानत के लिए आवेदन करना ही एकमात्र उपाय है.’’

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