नई दिल्ली : खराब जीवनशैली, गलत खानपान और लंबे समय तक गलत पॉस्चर में बैठने से रीढ़ की हड्डी कमजोर होने लगती है और यह शरीर का सपोर्ट सिस्टम है। वैसे भी रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर की सबसे महत्वपूर्ण संरचनाओं में से एक है. यह हमारे शरीर का ढांचा प्रदान करती है और दिमाग से पूरे शरीर तक संदेश पहुंचाने का काम करती है.
रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर की सबसे महत्वपूर्ण संरचनाओं में से एक है. यह हमारे शरीर का ढांचा प्रदान करती है और दिमाग से पूरे शरीर तक संदेश पहुंचाने का काम करती है. रीढ़ की हड्डी में तीन प्रमुख भाग होते हैं: सर्वाइकल (गर्दन), थोरेसिक (छाती) और लम्बर (कमर का निचला भाग). रीढ़ की समस्याएं आजकल आम हो गई हैं. इन समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. गलत लाइफस्टाइल: लंबे समय तक बैठना, खराब पॉस्चर में बैठना, देर तक स्क्रीन के सामने काम करना आदि.
2. मोटापा: मोटापा रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे समस्याएं हो सकती हैं.
3. बढ़ता स्क्रीन टाइम: बढ़ता स्क्रीन टाइम भी रीढ़ की समस्याओं का एक कारण है. जब हम लंबे समय तक स्क्रीन के सामने रहते हैं, तो हमारा गलत पॉस्चर हो जाता है, जिससे रीढ़ की समस्याएं हो सकती हैं.
4. भारी बस्ते: भारी बस्ते उठाना भी रीढ़ की समस्याओं का कारण बन सकता है.
रीढ़ की समस्याओं के प्रमुख लक्षण
– कमर, खासतौर पर निचले हिस्से में दर्द और जकड़न. दर्द दिन की बजाय रात में अधिक होना.
– गर्दन में दर्द और जकड़न रहना.
– कमर व कूल्हों से होते हुए पैर तक दर्द महसूस करना. हाथ में झनझनाहट भी महसूस करना.
– व्यायाम या फिर थोड़ा ज्यादा चलने-फिरने के बाद कमर व गर्दन दर्द का बढ़ना.
– गर्दन व कमर के भाग में सुन्नता.
रीढ़ की समस्या के इलाज के लिए स्पाइन स्पेशलिस्ट से मिलना चाहिए. मरीज की स्थिति के अनुसार ही इलाज की प्रक्रिया तय की जाती है. जैसे, सियाटिका व स्लिप डिस्क के शुरुआती दौर में डॉक्टर दवाओं और फिजियोथेरेपी से राहत देने का प्रयास करते हैं. अंतिम विकल्प के तौर पर ही सर्जरी का सहारा लिया जाता है. वर्तमान में छोटे चीरे वाली सर्जरी (मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी – एमआईएसएस या मिस) की प्रक्रियाओं की मदद से सर्जरी प्रभावी व आसान हुई है. हालांकि विभिन्न समस्याओं में सर्जरी की नौबत तभी आती है, जब व्यक्ति को दवाओं और फिजियोथेरेपी से राहत नहीं मिलती.
रीढ़ की समस्याओं से बचने के उपाय
– स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं.
– लंबे समय तक बैठे रहने से बचें.
– सही पॉस्चर में बैठें.
– स्क्रीन के सामने काम करते समय ब्रेक लें.
– भारी बस्ते न उठाएं.
– नियमित रूप से व्यायाम करें.